भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना एक तरफ जहां दोनों एक दूसरे के विरोधी थे तो वहीं दोनों ही अपने-अपने देश के खासे लोकप्रिय नेता भी थे. दोनों ही ऐतिहासिक शख्सियतें थीं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कौन ज्यादा रईस था? चलिए जानते हैं कि जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना की संपत्ति कितनी थी. जवाहर लाल नेहरू की संपत्ति सबसे पहले बात करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू कि संपत्ति के बारे में, तो बता दें कि जवाहर लाल नेहरू एक प्रतिष्ठित वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे और नामी शख्सियत थे. लिहाजा उनका रुतबा भी उतना शानदार था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर बैरिस्टर थे जिन्होंने उस दौरान इलाहाबाद में आनंद भवन जैसे आलीशान घर बनवाए. एक रिपोर्ट के अनुसार, 1947 में आजादी के समय नेहरू की संपत्ति लगभग 200 करोड़ रुपये की थी. यह उस समय की बहुत बड़ी राशि थी. लेकिन नेहरू का धन के प्रति रवैया बिल्कुल अलग था. उन्होंने अपनी संपत्ति का 98% हिस्सा, यानी करीब 196 करोड़ रुपये देश के निर्माण के लिए दान कर दिया. उनकी किताबों की रॉयल्टी से होने वाली कमाई उनके लिए पर्याप्त थी और वह सादगी भरा जीवन जीते थे.मोहम्मद अली जिन्ना की संपत्तिमोहम्मद अली जिन्ना भी अपने समय के मशहूर वकील थे. लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई करने वाले जिन्ना की फीस उस समय बहुत अधिक थी. उनकी कमाई का मुख्य स्रोत उनकी वकालत और निवेश थे. जिन्ना को पैसे कमाने का बहुत चस्का था. वो हमेशा इन्वेस्टमेंट के बारे में सोचते थे. जिन्ना को निवेश में खासा रुचि थी जिसके चलते उन्होंने एयर इंडिया जैसे शेयरों में पैसा लगाया था. उनकी सबसे चर्चित संपत्ति थी मुंबई के मालाबार हिल में स्थित जिन्ना हाउस जिसे उन्होंने 1936 में 2 लाख रुपये में बनवाया था. बंटवारे के समय जिन्ना ने अपनी अधिकांश संपत्ति, लगभग 8 लाख रुपये पाकिस्तान ट्रांसफर कर दिए थे. उनकी मृत्यु के समय उनकी संपत्ति का अनुमान 50 मिलियन डॉलर लगाया गया, जिसमें उनकी अचल संपत्ति और कानूनी पेशे से कमाई शामिल थी.कौन था ज्यादा रईस?यदि हम आंकड़ों की तुलना करें, तो 1947 में नेहरू की संपत्ति (200 करोड़ रुपये) जिन्ना की तुलना में कहीं अधिक थी. लेकिन नेहरू ने अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा देश को दान कर दिया, जबकि जिन्ना ने अपनी संपत्ति को निवेश और ट्रांसफर के जरिए सुरक्षित रखा. इसे भी पढ़ें- जब रोम जल रहा था तो क्या सचमुच बांसुरी बजा रहा था नीरो, जानें यह कहावत कितनी सच्ची?