Independence Day 2025: आज के वक्त में ऐसे बहुत कम लोग ही बचे हैं, जो आज के वक्त में आजादी के गवाह रहे हैं. इसमें भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन की बेटी पामेला हिक्स का भी नाम शामिल है. 1947 के वक्त जब भारत आजाद हुआ था, तब पामेला 18 साल की थीं. भारत आजाद हो चुका था और स्वतंत्रता का तिरंगा फहराया जाना था. जब उस वक्त पामेला जब कार से उतरीं तो वहां लाखों लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था. पंडित नेहरू पामेला को मंच की ओर आने का इशारा कर रहे कि तभी एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिससे पामेला एकदम हैरान रह गई थीं.जब लोगों के ऊपर से गुजरीं पामेला माउंटबेटनउस दौरान झंडा फहराने से पहले गवर्नर जनरल की बेटी पामेला माउंटबेटन अपने पिता और कुछ कर्मचारियों के साथ मंच की ओर बढ़ना चाह रही थीं. उस दौरान इतनी ज्यादा भीड़ थी कि वे भीड़ के बीच से मंच पर बढ़ रही थीं. वहां पर इतनी भारी संख्या में लोग मौजूद थे और वे इस कदर सटकर बैठे हुए थे कि किसी का भी निकलना मुश्किल था. उस वक्त जवाहरलाल नेहरू ने उनको मंच पर आगे की ओर बढ़ते हुए देख लिया. उन्होंने पामेल को मंच पर आने के लिए आवाज दी. पामेला ऊंची एड़ी की सैंडिल पहने हुए थीं. उन्होंने सैंडिल उतारकर हाथ में पकड़ ली और लोगों के ऊपर से पांव रखते हुए गुजरीं.क्या थी वो बच्चों की बारिशमाउंटबेटन की सवारी के साथ चलने वाले अंगरक्षकों की चमकदार रंगीन पगड़ियां दूर दिखाई दीं, तो भीड़ लहर की तरह आगे की ओर उमड़ पड़ी. तभी अपने माता-पिता को मंच की ओर आते हुए देखकर पामेला की आंखों के सामने एक ऐसा नजारा उमड़ा कि उनकी आंखें खुली रह गईं. मंच की ओर आगे की तरफ बढ़ते हुए इंसानी सैलाब में हजारों ऐसी महिलाएं थीं, जो कि अपने नवजात बच्चों को सीने से लगाए थीं. वे बच्चे उस लहर की तरह बढ़ती हुई भीड़ में पिस न जाएं, इसके लिए महिलाएं बच्चों को बॉल की तरह से हवा में उछाल रही थीं. इसलिए हैरान रह गईं माउंटबेटन की बेटीजब वे बच्चे नीचे की ओर आते तो महिलाएं उनको पकड़कर फिर से हवा में उछाल देती थीं. तभी एक ही क्षण में कुछ ऐसा हुआ कि एकसाथ सैकड़ों की संख्या में बच्चे उछाल दिए गए. तभी माउंटबेटन की बेटी पामेला माउंटबेटन की आंखें हैरानी से खुली रह गईं कि और वे सोचने लगी कि हे ईश्वर, ये बच्चों की बरसात हो रही है क्या? उसी भीड़ के बीच में आजाद भारत का तिरंगा लहराया गया था. यह भी पढ़ें: देश के दो प्रधानमंत्री जिन्होंने कभी नहीं फहराया लाल किले पर तिरंगा, जानिए क्यों हुआ ऐसा?