जब भारत का बंटवारा हुआ, तब बांग्लादेश में कितने थे हिंदू? जानें पाकिस्तान ने क्या किया उनके साथ

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भारत का बंटवारा एक ऐसी घटना थी जिसने लाखों लोगों की जिंदगी को हमेशा के लिए प्रभावित किया. साल 1947 में जब भारत को दो हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बांटा गया, तब पूर्वी पाकिस्तान जो बाद में बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान का गठन हुआ. इस बंटवारे के समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में हिंदुओं की आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 19-20% थी. उस समय हिंदू समुदाय वहां की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था.बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थितिबंटवारे के दौरान और उसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं को भारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. धर्म के आधार पर हुए इस विभाजन ने सांप्रदायिक हिंसा को जन्म दिया, जिसमें हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया. दंगों, लूटपाट, बलात्कार और हत्याओं की घटनाएं आम थीं. लाखों हिंदू परिवारों को अपनी जमीन-जायदाद छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. खासकर पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में हिंदू शरणार्थियों की बाढ़ आ गई. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 1.13 करोड़ हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर गए. हर साल औसतन 2.3 लाख हिंदू देश छोड़ने को मजबूर हुए.पाकिस्तान का हिंदुओं के प्रति व्यवहार1947 के बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी प्रशासन और स्थानीय कट्टरपंथी समूहों ने हिंदुओं के खिलाफ हिंसक और भेदभावपूर्ण नीतियां अपनाईं. हिंदू मंदिरों, पूजा स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट किया गया. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान यह उत्पीड़न चरम पर पहुंच गया. पाकिस्तानी सेना और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों ने हिंदुओं को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया. इस दौरान हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्याएं और संपत्ति की लूटपाट की घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं. अनुमान है कि इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए, जिनमें हिंदू समुदाय के लोग प्रमुख थे.1971 के बाद की स्थिति1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद भी हिंदुओं की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ. इस्लामी कट्टरपंथ और सामाजिक भेदभाव के कारण हिंदुओं की आबादी लगातार घटती गई. 1971 में 20% थी जो अब घटकर केवल 8% रह गई है. ‘वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट’ जैसे कानूनों ने हिंदुओं की जमीनें छीन लीं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हुई. हाल के वर्षों में भी, खासकर शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद, हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं. 2021 से 2025 तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर 3,582 हमले दर्ज किए गए.इसे भी पढ़ें- देश के इस गांव में चलता है महिलाओं का राज, घर का सारा काम करते हैं मर्द