मोहम्मद अली जिन्ना भारत को एक रखने की हर मुमकिन कोशिश के खिलाफ थे. उन्होंने माउंटबेटन को साफ-साफ कह दिया था, "नहीं, मैं भारत का हिस्सा नहीं बनना चाहता. हिंदू राज के अधीन रहने से बेहतर है कि मैं सब कुछ खो दूं." पाकिस्तान के बनने का दोष जिन्ना पर मढ़ते हुए माउंटबेटन ने कहा था- भारत को एक बनाए रखने में जिन्ना ही एकमात्र बाधा थे.