मेरठ मे कावड़ियो की इमोशनल स्टोरी:8 साल के अंश ने उठाई कावड़, राजस्थान के दो बेटों ने अपनी 8 मां और बीवियों के साथ की कावड़ यात्रा

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बाबा मेरे मेरे बच्चे को बचा लो अगर वो ठीक हो गया तो उसके साथ कावड़ लेकर आऊंगा " यह यह मन्नत एक पिता की है अपने बेटे के लिए जो एक ऐसी बीमारी से जूझ रहा था। जिससे उसके बचने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन तब उसने भोलेनाथ को याद किया और भगवान ने उसकी सुन ली उसका बेटा ठीक हो गया और वह निकल पड़ा अपने बेटे के साथ कावड़ लेकर। बाबा मेरा बेटा ठीक कर दो तो मैं उसकी पहली कावड़ लेकर हरिद्वार आऊंगा यह पूरा मामला है दिल्ली के अंश का। जिसके लिवर में ऐप्स में पस पड़ने की वजह से डॉक्टर ने कह दिया था कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। तब उसके पिता ने भगवान भोलेनाथ को याद करके कहा कि की बाबा मेरा बेटा ठीक हो गया तो मैं उसकी पहली कावड़ लेकर हरिद्वार आऊंगा। अंश 8 साल का है और उसके पिता रवि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में काम करते हैं। अंश से जब पूछा गया कि उसके पिता ने उसे कावड़ लाने के लिए कहा है, तो उसने कहा कि नहीं मैं खुद अपनी मर्जी से कावड़ लेकर आया हूं। छोटा - सा अंश अपने कंधे पर जल से भरी कावड़ ले जाता नजर आया। इस छोटे से बच्चे की भक्ति को देख आसपास के लोग भी उसे देखकर बहुत खुश हो रहे थे। आजा भोली तुझे हरिद्वार नहवा लाऊ : राजस्थान के दो बेटों ने अपनी 8 मां और बीवियों के साथ की कावड़ यात्रा मां ने बेटे से कहा कि बेटा 6 साल से तुम कावड़ लेकर जाते हो लेकिन एक बार भी हमें लेकर नहीं गए इस बार हमारी भी तेरे साथ जाने की इच्छा है। माैउमी की बहू ने बताया कि उनकी आठ सांस और और दोनों बहू के पति और देवर साथ में एक कावड़ लेकर आए हैं । राजस्थान जयपुर के चौमू कस्बे से हरिद्वार तक 600 किलोमीटर चलकर कावड़ और जल लोकर यह पूरा परिवार जा रहा है। माैउमी के बेटे ने बताया कि हमने एक भजन सुना था जिसमें कहते है कि "आजा भोली तुझे हरिद्वार घुमा लाऊं" तो हमने भी अपनी मां से कहा कि चल बोली तुझे हरिद्वार घुमा लाऊं और फिर हम सब अपनी मां और बीवियों को हरिद्वार घुमा लाए है। 800 किलोमीटर पैदल चलकर भोले की भक्ति में कावड़ लेने पहुंचे 53 साल के राधेश्याम राजस्थान जिला पुष्कर अजमेर के राधेश्याम प्रजापति जिनकी उम्र 53 साल है।उन्होनें बताया कि वह 6 साल से लगातार राजस्थान के अजमेर से 800 किलोमीटर पैदल चलकर भोले की भक्ति में कावड़ लेने हर साल हरिद्वार आते हैं। राधेश्याम प्रजापति एक किसान है जो की राजस्थान में खेती करते हैं। उनके 6 बच्चे हैं चार लड़की एवं दो लड़के तीन लड़कियों की उन्होंने शादी कर दी है। जब वह 2019 में पहले कावड़ लेने अजमेर से हरिद्वार आए थे तब उन्हें कोई भी साथी नहीं मिला था जो उनके साथ आ सके, इसलिए उन्हें अकेला ही 800 किलोमीटर चलकर आना पड़ा था। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि वह पूरी 11 कावड़ अकेले ही लेंएगे राधेश्याम प्रजापति ने की मेरठ के कावड़ शिविर ओर पुलिस व्यवस्था की तारीफ। प्रजापति ने कहा कि 800 किलोमीटर के इस रास्ते में सबसे अच्छी विश्राम की व्यवस्था मेरठ में मिली है और यहां पर पुलिस प्रशासन द्वारा भी शिव भक्तों का बहुत ही अच्छे से ख्याल रखा जा रहा है। 80 साल के बालाजी पिछले 25 साल से रिक्शे में लाते है कावड़ भोलेनाथ के सबसे प्रिय महा सावन में जहां लोग तरह-तरह के कावड़ ला रहे हैं वही मेरठ के पल्लवपुरम रोड पर हमारी मुलाकात दिल्ली के रहने वाले बालाजी से हुई। जिनकी उम्र 80 साल है और वह 25 साल से लगातार अपने रिक्शे में दिल्ली से हरिद्वार जाकर कावड़ लाते हैं। बालाजी ने बताया कि उनकी शादी भी नहीं हुई वह अकेले रहकर ही अपने जीवन को जी रहे हैंम और वह पूरी तरह से भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो चुके हैं। पल्लवपुरम रोड पर वैश्य समाज के लोगों द्वारा कावड़ शिवर का आयोजन कावड़ शिवर के अध्यक्ष रजनीश मित्तल निवासी पल्लवपुरम ने बताया कि उनके वह उनके वैसे समाज के साथियों द्वारा इस कावड़ शिवर का आयोजन किया गया है यह कावड़ शिवर 23 तारीख तक पल्लवपुरम पुरम रोड पर लगेगा फिर 23 तारीख में यहां उनके द्वारा विशाल भंडारा किया जाएगा। इस शिवर में रोजाना शिव भक्तों के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रसाद तैयार किया जाता है और शिव भक्तों के आराम के लिए भी यहां बेड वह पंखों की व्यवस्था की गई है और किसी शिव भक्त को दर्द या किसी तरीके की कोई परेशानी है उसके लिए भी मेडिकल की पूरी व्यवस्था इस कारण सीवर में की गई है