फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग चार करोड़ लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, यानी देश की आबादी के लगभग 3% प्रतिशत लोग। ऐसा लोग अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए करते हैं। हालांकि कई बार अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर फंड की कुछ यूनिट्स या पूरा फंड ही बेंच देते हैं। ऐसा करने से उनको मिलने वाला लॉन्ग टर्म रिटर्न कम हो जाता है। वहीं अगर बेंचते समय बाजार नीचे हो, फंड बेचना घाटे का सौदा भी हो सकता है। ऐसे समय में अगर पैसे की जरूरत हो तो आप अपने म्यूचुअल फंड को गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं। ऐसा करने से आपका इन्वेस्टमेंट बना रहता है और आप अपनी पैसों की जरूरत भी पूरी कर सकते हैं। आज हम आपका पैसा कॉलम में इसी बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि- सवाल- लोन बनाम रिडेम्पशन में क्या बेहतर है? जवाब- जब आप अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचते हैं और पैसा वापस लेते हैं, तो उसे रिडेम्पशन (Redemption) कहा जाता है। इसका मतलब है कि आपने अपना निवेश भुना लिया। वहीं अगर आप अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बिना उन्हें बेचे, गिरवी रखकर बैंक या NBFC से लोन लेते हैं, तो इसे लोन अगेन्स्ट म्यूचुअल फंड (LAMF) कहा जाता है। आइए इसे उदाहरण के जरिए समझते हैं- म्यूचुअल फंड रिडेम्पशन उदाहरण: अगर आपने 5 साल पहले 1 लाख रुपए का म्यूचुअल फंड खरीदा और अब उसकी वैल्यू 1.5 रुपए लाख हो गई है, तो उसे बेचकर आप वह 1.5 रुपए लाख निकाल सकते हैं। लेकिन इसमें कैपिटल गेन टैक्स लग सकता है। लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड उदाहरण: अगर आपके पास 2 लाख रुपए के म्यूचुअल फंड हैं, तो बैंक आपको लगभग 60-70% तक यानी 1.2 रुपए से 1.4 रुपए लाख का लोन दे सकते हैं। इसे निकालकर आप अपनी जरूरतें पूरी कर सकते हैं और निवेश भी बना रहता है। सवाल- म्यूचुअल फंड पर लोन कैसे लें? जवाब- म्यूचुअल फंड के बदले तुरंत लोन लेने की प्रक्रिया बहुत आसान है और इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरह से अप्लाई किया जा सकता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। एलिजिबिलिटी चेक करें सबसे पहले यह देखें कि आपने जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसा निवेश किया है, क्या उस फंड को बैंक या संस्था गिरवी के तौर पर स्वीकार करती है। ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करेंजिस भी बैंक या NBFC कंपनी से आप लोन ले रहे हैं उस संस्था की वेबसाइट या बैंकिंग पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी सबमिट करें। या बैंक की ब्रांच विजिट करें और मैनेजर से प्रोसेस के बारे में बात करें। लियन मार्क कराएंलोन देने वाला आपके म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर 'लियन' लगा देता है, जिसका मतलब है कि जब तक आप लोन चुका नहीं देते, तब तक आप उन यूनिट्स को बेच नहीं सकते हैं। लोन का मिलनाएक बार लियन अप्रूव हो जाने के बाद, लोन की रकम आपके बैंक अकाउंट में आ जाती है। इस राशि का इस्तेमाल आप अपनी जरूरतें पूरी करने में कर सकते हैं। लियन हटवाने के लिए आवेदन करेंलोन चुकाने के बाद, लियन हटा दिया जाता है और आपको अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर पूरा कंट्रोल वापस मिल जाता है। सवाल- म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स बेचने के बजाय इस पर लोन लेना क्यों बेहतर है? जवाब- म्यूचुअल फंड लॉन्ग टर्म ग्रोथ और कंपाउंडिंग का जरिया होते हैं। जब आप इमरजेंसी में फंड्स को रिडीम कर लेते हैं, तो आप उस ग्रोथ को बीच में ही रोक देते हैं। साथ ही म्यूचुअल फंड लॉन्ग टर्म में बैंक के ब्याज से अधिक रिटर्न दे सकते हैं। ऐसे में निवेश तोड़ना गलत फैसला साबित हो सकता है। इसके बजाय अगर आप इन्हीं फंड्स को गिरवी रखकर लोन लेते हैं, तो आपका निवेश बना रहता है और जरूरत भी पूरी हो जाती है। आइए म्यूचुअल फंड को बेचने के नुकसान और इस पर लोन के फायदे को ग्राफिक्स के जरिए समझते हैं। निवेश बरकरार रहता हैम्यूचुअल फंड्स यूनिट्स को बेचे बिना आप अपनी जरूरत के लिए पैसा जुटा सकते हैं। इससे आपकी लॉन्ग टर्म वेल्थ प्लानिंग जारी रहती है। बाजार की रिकवरी का फायदाअगर बाजार में गिरावट है और आप उस समय यूनिट्स बेचते हैं, तो आपको कम रिटर्न मिल सकता है या नुकसान हो सकता है। लोन लेकर आप रिकवरी का इंतजार कर सकते हैं और बाद में बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। टैक्स से बचावम्यूचुअल फंड बेचने पर लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। जबकि लोन लेने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। जल्दी लोन मिलता हैम्यूचुअल फंड पर लोन की प्रक्रिया डिजिटल और तेज होती है। कई मामलों में आपको 24 घंटे में ही लोन मिल सकता है। कम ब्याज दरपर्सनल लोन की तुलना में लोन अगेन्स्ट म्यूचुअल फंड की ब्याज दर कम होती है, जिससे यह एक किफायती विकल्प बनता है। सवाल- कौन-कौन से फंड्स पर कितना लोन मिल सकता है? जवाब- लोन डेब्ट और इक्विटी दोनों प्रकार के म्यूचुअल फंड्स पर मिल सकता है। हालांकि, डेब्ट फंड्स को अधिक सुरक्षित माना जाता है, इसलिए बैंक इन पर अधिक लोन देने को तैयार रहते हैं।डेट फंड्स पर लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो करीब 70% से 80% तक होता है, जबकि इक्विटी फंड्स पर यह करीब 50%-60% तक सीमित रहता है। सवाल- किन दस्तावेजों की जरूरत होती है? जवाब- लोन आवेदन के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट और KYC दस्तावेज अनिवार्य होते हैं। ये सभी दस्तावेज आपके पहचान और निवेश की पुष्टि के लिए जरूरी होते हैं। …… पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें आपका पैसा- 40 की उम्र तक बनाएं एक करोड़ का फंड: उम्र 22 साल, सैलरी 20 हजार, जानिए कहां, कितना और कैसे करें इन्वेस्ट जब भी हमारी पहली नौकरी लगती है, तो शुरुआती सालों में हम अपनी कमाई घूमने-टहलने, फिल्में देखने, शौक पूरे करने में खर्च करते हैं। हालांकि अगर हम कमाई का एक बड़ा हिस्सा समझदारी से निवेश किया जाए तो हम अर्ली रिटारयरमेंट लेकर पूरी जिंदगी आराम से गुजार सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें