रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान को चेतावनी दी है कि वे नॉर्थ कोरिया को निशाना बनाकर कोई सिक्योरिटी अलायंस या सैन्य गठबंधन न बनाएं। लावरोव नॉर्थ कोरिया के शहर वॉनसान में थे। इस दौरान वे नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग उन से मिले। इसके अलावा उन्होंने नॉर्थ कोरिया की विदेश मंत्री चोई सोन भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद लावरोव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान नॉर्थ कोरिया के चारों तरफ सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, हम चेतावनी देते हैं कि इन रिश्तों का इस्तेमाल किसी के खिलाफ गठबंधन बनाने में न किया जाए, चाहे वो नॉर्थ कोरिया हो या रूस। रूस ने नॉर्थ कोरिया की परमाणु नीति को सही ठहराया लावरोव तीन दिन की यात्रा पर शुक्रवार को नॉर्थ कोरिया पहुंचे थे। शनिवार को उन्होंने अपने नॉर्थ कोरियाई समकक्ष चोई सोन हुई से मुलाकात की। लावरोव ने कहा कि रूस समझता है कि नॉर्थ कोरिया क्यों परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा, नॉर्थ कोरिया की तकनीक उसके वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है। हम उनकी महत्वाकांक्षाओं का सम्मान करते हैं। रूसी एजेंसी TASS के मुताबिक लावरोव ने यूक्रेन जंग की स्थिति को लेकर भी कोरियाई नेताओं से बात की। नॉर्थ कोरिया ने रूस को यूक्रेन जंग में सैनिक और हथियार मुहैया कराए हैं। इसके बदले में नॉर्थ कोरिया को रूस से सैन्य और आर्थिक मदद मिली है। नॉर्थ कोरिया यूक्रेन जंग में सैनिक भेजने की तैयारी कर रहा यूक्रेनी खुफिया एजेंसी के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया रूस की सैन्य कार्रवाई में मदद के लिए 25 से 30 हजार सैनिक और भेजने की तैयारी में है। पिछले साल उसने करीब 11 हजार सैनिक रूस भेजे थे। नॉर्थ कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी KCNA के मुताबिक, किम जोंग उन ने रूस-यूक्रेन जंग में रूस की कार्रवाइयों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्योंगयांग और मास्को की रणनीतिक मुद्दों पर एक जैसी सोच है। रूस और नॉर्थ कोरिया के बीच पिछले साल रक्षा समझौता हुआ रूसी राष्ट्रपति पुतिन पिछले साल नॉर्थ कोरिया के दौरे पर थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच एक नई डीफेंस डील हुई। डील के मुताबिक अब अगर किसी भी देश ने उत्तर कोरिया या फिर रूस पर हमला किया तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसे में दोनों देश मिलकर लड़ेंगे। किम जोंग उन ने नए डिफेंस डील को ‘एलायंस’ नाम दिया है।नॉर्थ कोरिया और रूस के बीच हुई इस डिफेंस डील का साउथ कोरिया ने विरोध भी किया था। साउथ कोरिया, अमेरिका और अन्य देशों को आशंका है कि रूस नॉर्थ कोरिया को ऐसी संवेदनशील तकनीक दे सकता है जिससे उसके परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को बढ़ावा मिल सकता है।