फिजिकल हेल्थ- भारत में 15-20% लोग हर्निया से पीड़ित:पुरुषों को ज्यादा रिस्क, इन 4 लक्षणों को न करें इग्नोर, बरतें 6 सावधानियां

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हर्निया एक आम, लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली हेल्थ कंडीशन है। इसमें शरीर के अंग जैसे आंत या फैट का हिस्सा मांसपेशियों की कमजोरी के कारण बाहर की तरफ उभरने लगता है। आमतौर पर यह पेट, नाभि, जांघ या कमर के आसपास उभार के रूप में दिखाई देता है। शुरुआत में दर्द न के बराबर होता है, लेकिन समय पर इलाज न हो तो यह गंभीर रूप ले सकता है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सर्जरी’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, साल 2019 में दुनियाभर में इनग्विनल, फेमोरल और एब्डॉमिनल हर्निया के करीब 3.25 करोड़ मरीज थे, जबकि 1.30 करोड़ नए मामले सामने आए। इन नए मामलों में 86% पुरुष थे, जिससे पता चलता है कि पुरुषों में हर्निया का खतरा महिलाओं की तुलना में करीब 6 गुना ज्यादा होता है। वहीं इंडियन जर्नल ऑफ मॉडर्न रिसर्च एंड रिव्यू (IJMRR) की एक स्टडी के मुताबिक, देश की कुल आबादी में से करीब 15-20% लोग किसी-न-किसी तरह के हर्निया से प्रभावित होते हैं। इसलिए हर्निया के लक्षणों को समय पर पहचानना और डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम हर्निया के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- हर्निया क्या है? हर्निया तब होता है, जब शरीर के अंदर का कोई हिस्सा जैसे आंत, मांसपेशियों की कमजोर जगह से बाहर आ जाता है। यह स्थिति अक्सर भारी वजन उठाने, लगातार खांसने, कब्ज या प्रेग्नेंसी के कारण पेट पर अधिक दबाव पड़ने से होती है। आमतौर पर यह उभार के रूप में दिखाई देता है, जो खड़े होने पर बढ़ जाता है और लेटने पर कम हो सकता है। हर्निया धीरे-धीरे बढ़ सकता है। अगर समय रहते इलाज न हो तो हर्निया में फंसे अंगों में खून की सप्लाई रुक सकती है, जिससे खतरा बढ़ जाता है। कई तरह के होते हैं हर्निया हर्निया मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, इंटरनल और एक्सटर्नल। इंटरनल हर्निया शरीर के अंदर होता है और आमतौर पर दिखाई नहीं देता, जबकि एक्सटर्नल हर्निया स्किन की सतह पर उभार के रूप में नजर आता है। इसके लक्षण और स्थान अलग-अलग हो सकते हैं। आइए कुछ कॉमन हर्निया के बारे में जानते हैं। इनग्विनल हर्निया हर्निया के कुल मामलों में इसका हिस्सा लगभग 75% होता है। इसमें आंत या फैटी टिशू पेट के निचले हिस्से से निकलकर जांघ के ऊपरी हिस्से (इनग्विनल कैनाल) में पहुंच जाता है। यह पुरुषों में ज्यादा होता है क्योंकि उनकी इनग्विनल कैनाल महिलाओं की तुलना में अधिक चौड़ी और कमजोर होती है। वेंट्रल हर्निया यह पेट की मांसपेशियों (एब्डॉमिनल वॉल) की कमजोर जगह पर कहीं भी हो सकता है। इसमें अम्बिलिकल, इनसिजनल और एपिगैस्ट्रिक हर्निया जैसे प्रकार शामिल होते हैं। एपिगैस्ट्रिक हर्निया खासतौर पर नाभि और सीने के बीच के हिस्से में होता है। अम्बिलिकल हर्निया यह हर्निया नाभि के पास होता है, जब आंत का एक हिस्सा नाभि के आसपास की मांसपेशियों की कमजोर दीवार से बाहर निकलता है। यह छोटे बच्चों में सामान्य है और कई बार अपने आप ठीक हो जाता है। वयस्कों में यह मोटापा, प्रेग्नेंसी या अधिक वजन उठाने से हो सकता है। हाइटल हर्निया यह तब होता है, जब पेट का ऊपरी हिस्सा एक छोटे छेद से होकर सीने में पहुंच जाता है। यह छेद डायफ्राम (सीने और पेट के बीच) में होता है, जो आमतौर पर भोजन नली के गुजरने के लिए होता है। लेकिन जब यह छेद ज्यादा चौड़ा हो जाता है तो पेट का हिस्सा भी उसी रास्ते से ऊपर खिसकने लगता है। इनसिजनल हर्निया यह उस स्थान पर होता है, जहां पहले कोई सर्जरी हुई हो। सर्जरी के बाद अगर पेट की मांसपेशियां पूरी तरह से ठीक नहीं हो पातीं तो समय के साथ वहां से आंत या टिशू बाहर निकल सकते हैं। यह अक्सर पेट की सर्जरी के बाद देखा जाता है। फेमोरल हर्निया यह हर्निया इनग्विनल कैनाल के नीचे स्थित फेमोरल कैनाल में होता है, जहां फैटी टिशू या आंत का हिस्सा बाहर निकल आता है। यह महिलाओं में अधिक देखा जाता है, खासकर प्रेग्नेंसी या मोटापे के कारण पेट पर ज्यादा दबाव पड़ने से। नीचे दिए ग्राफिक से हर्निया के प्रकार, उसके लक्षण और रिस्क फैक्टर के बारे में जानिए- हर्निया के रिस्क फैक्टर उम्र बढ़ने के साथ शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इससे हर्निया का खतरा बढ़ जाता है। अगर परिवार में किसी को हर्निया की समस्या रही हो तो ये जेनेटिक भी हो सकता है। कुछ लोगों को इसका रिस्क ज्यादा होता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- हर्निया का इलाज हर्निया का एकमात्र प्रभावी इलाज सर्जरी है। हालांकि हर मरीज को सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हर्निया कितना बड़ा है और इसके लक्षण कितने गंभीर हैं। अगर लक्षण हल्के हैं और कोई समस्या नहीं है तो डॉक्टर स्थिति पर नजर रखने की सलाह दे सकते हैं। कुछ मामलों में सर्जरी के बजाय दवाओं से भी इसे ठीक किया जा सकता है। हर्निया से बचने के तरीके हर्निया से बचाव के लिए कुछ जरूरी सावधानियां और लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद जरूरी है। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- हर्निया से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल- क्या बच्चों में भी हर्निया का खतरा होता है? जवाब- हां, कुछ बच्चों में जन्म के साथ ही हर्निया होता है, खासकर नाभि के आसपास। हालांकि कई बार यह अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन अगर गांठ बढ़े या दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। सवाल- हर्निया का पता कैसे चलता है? जवाब- हर्निया की पहचान के लिए डॉक्टर सबसे पहले फिजिकल टेस्ट करते हैं। हर्निया अक्सर पेट या जांघ में गांठ या उभार के रूप में दिखता है। कुछ मामलों में दर्द, भारीपन या जलन भी महसूस हो सकती है। इसके बाद डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री पूछते हैं। सटीक डायग्नोसिस के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई और एंडोस्कोपी जैसे इमेजिंग टेस्ट भी किए जाते हैं। सवाल- हर्निया की सर्जरी के बाद कैसे देखभाल करनी चाहिए? जवाब- सर्जरी के बाद आराम करना, भारी वजन उठाने से बचना और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है ताकि हर्निया फिर से न हो। ………………… फिजिकल हेल्थ की ये खबर भी पढ़िए किडनी स्टोन के इन 7 लक्षणों को न करें इग्नोर: हाइड्रेशन और हेल्दी डाइट से कम होता है रिस्क, जानें बचने के 7 आसान उपाय ‘नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 12% से ज्यादा लोगों को किडनी स्टोन की समस्या है। हालांकि अपनी लाइफस्टाइल में कुछ आसान बदलाव करके इसके खतरे को कम किया जा सकता है। पूरी खबर पढ़िए...