बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश को लेकर कांग्रेस ने शनिवार (12 जुलाई, 2025) को कहा कि अभी भ्रम और दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है, जबकि निर्वाचन आयोग और दूसरे संबंधित पक्षों के पास फिलहाल इसे मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया गया है कि दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को स्वीकार किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे ‘‘संवैधानिक दायित्व’’ बताया था.28 जुलाई को कोर्ट में होगी अगली सुनवाईजस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस कवायद के समय को लेकर सवाल भी उठाया था और कहा था कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर दस्तावेज के तौर पर विचार किया जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है.‘इंडिया’ गठबंधन के कई घटक दलों की तरफ से इस मामले में पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि वह कोर्ट में लंबित मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अंतरिम आदेश को लेकर भ्रम और दुष्प्रचार फैलाने की जरूरत नहीं है.पहचान कार्ड को भी किया जा सकता है नजरअंदाजसिंघवी का कहना था कि एसआईआर की कवायद किसी कानूनी संशोधन के माध्यम से नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक आदेश के जरिए शुरू हुई और इसमें सिर्फ एक बिंदु नागरिकता पर जोर दिया जा रहा है, जबकि नागरिकता की कसौटी को देखने का अधिकार क्षेत्र चुनाव आयोग का नहीं है.सिंघवी ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'आप और हम पिछले 15 सालों से अगर छींकते भी हैं तो हमें आधार दिखाना पड़ता है, आप कहीं भी चले जाइए तो आधार मांगा जाता है, लेकिन चुनाव आयोग इसे नजर अंदाज कर सकता है. इसी तरह वह खुद की ओर से जारी मतदाता पहचान पत्र को भी नजरअंदाज कर सकते हैं और राशन कार्ड को भी नजरअंदाज किया जा सकता है.'कानून में कहीं भी एसआईआर का जिक्र नहींउन्होंने कहा कि एसआईआर से जुड़े आदेश के तहत बिहार में करीब पांच करोड़ मतदाताओं के दस्तावेजों की जांच होनी है, लेकिन दो ढाई महीने के भीतर इस कवायद को अंजाम देना लगभग असंभव लगता है. सिंघवी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कानून में कहीं भी एसआईआर का जिक्र नहीं है, सिर्फ 'आईआर' यानी की गहन पुनरीक्षण की बात हुई है.उन्होंने कहा कि 2003 में गहन पुनरीक्षण हुआ था और उसके बाद से बिहार में तकरीबन 10 चुनाव हो चुके हैं और इन्हें लेकर आयोग को कोई आपत्ति नहीं थी. अगर आयोग को यह करना था तो बिहार विधानसभा चुनाव के बाद दिसंबर से इसे शुरू किया जा सकता था. उन्होंने सवाल किया कि चुनाव से दो महीने पहले ही इसे क्यों शुरू किया गया?आयोग के समक्ष फिलहाल कोई विकल्प नहींसिंघवी के अनुसार, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर विचार किया जाएगा. एक सवाल के जवाब में कांग्रेस के नेता ने कहा कि आयोग के समक्ष फिलहाल अंतरिम आदेश को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.उन्होंने कहा कि विपक्ष ने एसआईआर की कवायद को निरस्त करने का अनुरोध किया है, लेकिन सुनवाई में अभी इस बिंदु पर निर्णय होने की बारी नहीं आई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि न्यायालय ने बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश दिया है. बहुत सारे बिंदु लंबित हैं, लेकिन अभी से अटकलें लगाना ठीक नहीं है.ये भी पढ़ें:- केरल में स्कूलों का टाइम बदलने से मुस्लिम संगठन नाराज, बोले- 'क्या सोने के समय चलाएं मदरसे?'