और तीसरा मैं था... CJI बीआर गवई ने बताया, कॉलेज में कौन लगाता था उनकी हाजिरी?

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Written by:Rakesh Ranjan KumarLast Updated:August 23, 2025, 19:00 ISTसीजेआई गवई ने कहा कि वह कक्षाएं छोड़ दिया करते थे. (फाइल फोटो)पणजी. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने शनिवार को कहा कि पेशेवर जीवन में सफलता का स्तर परीक्षा परिणामों से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत, समर्पण और काम के प्रति प्रतिबद्धता से निर्धारित होता है. उन्होंने याद किया कि वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे, लेकिन कक्षाएं छोड़ देते थे. सीजेआई ने पणजी के निकट मीरामार में वी एम सलगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह में कहा कि कानूनी शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन आया है.उन्होंने लॉ कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “परीक्षा में अपने रैंक पर मत जाइए, क्योंकि ये परिणाम यह निर्धारित नहीं करते कि आप किस स्तर की सफलता प्राप्त करेंगे. आपका दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत, समर्पण और पेशे के प्रति प्रतिबद्धता ही मायने रखती है.” प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि वह एक असाधारण छात्र थे, लेकिन अक्सर कक्षाएं छोड़ देते थे. उन्होंने कहा, “लेकिन हमारी नकल करने की कोशिश नहीं करें.”उन्होंने याद किया कि जब वह मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में पढ़ते थे, तो वे कक्षाएं छोड़कर कॉलेज की चारदीवारी पर बैठते थे और कक्षा में उनकी हाजिरी उनके मित्र लगाते थे. सीजेआई ने कहा, “(कानून की डिग्री के) आखिरी साल में मुझे अमरावती जाना पड़ा, क्योंकि मेरे पिता (महाराष्ट्र) विधान परिषद के सभापति थे. मुंबई में हमारा घर नहीं था. जब मैं अमरावती में था, तो मैं लगभग आधा दर्जन बार ही कॉलेज गया था. मेरे एक मित्र, जो बाद में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने, मेरी हाजिरी लगा देते थे.”सीजेआई गवई के पिता दिवंगत आर एस गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) के संस्थापक थे. वह 1978 से 1982 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति रहे. बाद में वे बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल बने.प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि परिणामों में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाला छात्र आगे चलकर आपराधिक मामलों के वकील बने, जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले छात्र हाईकोर्ट के जज बने. उन्होंने कहा, “और तीसरा मैं था, जो अब भारत का प्रधान न्यायाधीश हूं.” उन्होंने कहा कि वह कॉलेज गए बिना ही मेरिट सूची में तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन किताबें पढ़ते रहे और पांच साल के परीक्षा के प्रश्नपत्र हल करते रहे.प्रधान न्यायाधीश ने छात्रों से कहा, ‘अब आप भाग्यशाली हैं कि पांच वर्षीय पाठ्यक्रम के आगमन के साथ, कानूनी शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन आया है.’ जब मैं बम्बई हाआकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में ‘मूट कोर्ट’ की अध्यक्षता करता था और छात्रों की दलीलें सुनता था, तो मुझे कभी-कभी लगता था कि उच्च न्यायालय के वकीलों को ‘मूट कोर्ट’ में उपस्थित होना चाहिए और युवा वकीलों से अदालत में बहस करना सीखना चाहिए.”प्रधान न्यायाधीश के अनुसार, आज प्रदान किया जाने वाला व्यावहारिक प्रशिक्षण छात्रों को वकील के रूप में अपना करियर बनाने में मदद करता है. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास बहुत सारे इंटर्न हैं और उनके पास जो गहन ज्ञान है, उसका अनुकरण करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए.’ कनिष्ठ वकीलों के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ कनिष्ठ वकीलों को वरिष्ठ वकीलों द्वारा दिया जाने वाला मानदेय बहुत कम है, जिससे उनके लिए जीवनयापन करना मुश्किल हो जाता है.प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि कानूनी सहायता का लाभ देश के सुदूरतम भागों तक पहुंचना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमने इसे व्यापक बनाने का प्रयास किया, क्योंकि जब तक नागरिकों को यह पता नहीं होगा कि उनके पास कानूनी विकल्प का अधिकार है, तब तक विकल्प या अधिकार उनके किसी काम के नहीं होंगे.”About the AuthorRakesh Ranjan Kumarराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ेंराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h... और पढ़ेंन्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।homenationऔर तीसरा मैं था... CJI बीआर गवई ने बताया, कॉलेज में कौन लगाता था उनकी हाजिरी?और पढ़ें