क्या पूरी दुनिया से अकेले लड़ सकता है रूस, जानें वह कितना ताकतवर?

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रूस ना केवल क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश है बल्कि इसके पास विशाल परमाणु हथियारों का जखीरा, आधुनिक सैन्य तकनीक और अनुभवी सेना है. सैन्य ताकत के साथ साथ रूस का क्षेत्रफल भी दुनिया में सबसे बड़ा है. प्राकृतिक संसाधनों जैसे तेल और गैस की प्रचुरता इसे आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाती है. लेकिन चलिए जानते हैं कि क्या रूस अकेले पूरी दुनिया से लड़ सकता है. रूस की सैन्य ताकतरूस की सैन्य शक्ति दुनिया में टॉप लेवल की है. सैन्य शक्ति रैंकिंग के हिसाब से बात करें तो रूस सैन्य शक्ति में विश्व में दूसरे स्थान पर है. रूस के  पास 5,580 परमाणु हथियार हैं. जो अमेरिका के बाद सबसे अधिक हैं. ये हथियार हिरोशिमा नागासाकी में गिराए गए बमों की तुलना में चार गुना ज्यादा विनाशकारी हैं. रूसी सेना के पास लगभग 15 मिलियन सक्रिय सैनिक हैं. इसके पास 12,500 से अधिक टैंक, 30,000 बख्तरबंद वाहन और 6,500 तोपखाने मौजूद हैं. सैन्य बजट की बात करें तो रूस अपने जीडीपी का 6.2 प्रतिशत हिस्सा रक्षा पर खर्च करता है.पूरी दुनिया से अकेले लड़ सकता है रूसरूस के पास एक शक्तिशाली सैन्य बल, परमाणु हथियार और प्राकृतिक संसाधनों की अच्छी खासी मात्रा है. लेकिन वैश्विक स्तर पर सभी देशों के संयुक्त सैन्य, आर्थिक और तकनीकी शक्ति के सामने वह अकेला टिक नहीं सकता. पूरी दुनिया से अकेले लड़ना असंभव है क्योंकि वैश्विक शक्तियां जैसे अमेरिका, नाटो और चीन के पास संयुक्त रूप से कहीं अधिक सैन्य और आर्थिक संसाधन हैं. नाटो जैसे गठबंधन की ताकत रूस से कहीं अधिक है. नाटो में शक्तिशाली राष्ट्र शामिल हैंनाटो में 31 देश हैं जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे शक्तिशाली राष्ट्र शामिल हैं. नाटो के पास 35 लाख सैनिक, 5,000 से अधिक आधुनिक तोपखाने और 6,000 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. नाटो का सैन्य बजट 1.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, जबकि रूस का केवल 84 बिलियन डॉलर है. नाटो की उन्नत तकनीक जैसे पांचवीं पीढ़ी के बख्तरबंद वाहन और सामूहिक रक्षा नीति इसे रूस से कहीं ज्यादा मजबूत बनाती है. रूस की अर्थव्यवस्था भी नाटो की तुलना में कमजोर है.इसे भी पढ़ें- रूस के कौन-कौन से शहर यूरोप में आते हैं और कौन-से एशिया में? देख लें पूरी लिस्ट