भारत से अमेरिका जाने वाले सामान पर आज यानी 27 अगस्त से 50% टैरिफ लग गया है. मतलब ये कि अब भारतीय प्रोडक्ट्स अमेरिका में पहले से कहीं ज्यादा महंगे हो जाएंगे. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट बताती है कि इस फैसले से भारत के करीब 5.4 लाख करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है. अब जब भारतीय सामान महंगा बिकेगा, तो चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे देश वही सामान सस्ते दाम पर बेचेंगे. इसका सीधा असर ये होगा कि भारतीय कंपनियों की अमेरिकी मार्केट में हिस्सेदारी घट सकती है. चलिए जानें कि अमेरिकी टैरिफ से नुकसान से होने वाली भरपाई भारत कहां से कर सकता है.अमेरिका के टैरिफ का भारत में कहां-कहां असर हो सकता है और इसके लिए भारत के पास क्या ऑप्शन हैं, चलिए इसे प्वाइंटर्स में समझते हैं-मशीनरी और ऑटो पार्ट्स अमेरिका भारत के ऑटो पार्ट्स का सबसे बड़ा खरीदार है, तकरीबन 32 फीसदी.सालाना 7 बिलियन डॉलर यानि 61,000 करोड़ रुपये का निर्यात होता है.नए टैरिफ से 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.छोटे-मध्यम उद्यमों के इंजीनियरिंग गुड्स निर्यात पर भी असर पड़ेगा.हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.भारत के पास क्या है विकल्पभारत के पास ऑप्शन है कि वो यूरोप यानि जर्मनी, यूके और ASEAN देशों जैसे कि सिंगापुर, मलेशिया में बाजार बढ़ा सकता है.इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन अभी स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स को टैरिफ से छूट है.अगर अमेरिका का सेक्शन 232 कानून लागू हुआ तो 50% टैरिफ लग सकता है.तब भारत से भेजे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे.कंपनियां प्रोडक्शन को दूसरे देशों में शिफ्ट करने पर विचार कर सकती हैं.भारत का विकल्पभारत का विकल्प यह हो सकता है कि वह स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर को छूट दिलाने के लिए बातचीत करे और घरेलू ब्रांड्स को बढ़ावा दे.फार्मा और दवाइयांभारत हर साल अमेरिका को 92,000 करोड़ रुपये की दवाइयां भेजता है.ट्रम्प ने 250% तक टैरिफ की धमकी दी है.अगर यह लागू हुआ तो 100 डॉलर की दवा दोगुनी कीमत पर बिकेगी.सन फार्मा, डॉ. रेड्डी, सिप्ला, ल्यूपिन जैसी कंपनियों पर बड़ा असर पड़ेगा.भारत का विकल्पजेनेरिक दवाओं की कीमतें कम रखने के लिए ट्रेड डील और यूरोप-लैटिन अमेरिका में नए बाजार खोले.जेम्स एंड ज्वेलरी भारत हर साल अमेरिका को 87,000 करोड़ रुपये की ज्वैलरी निर्यात करता है.नया टैरिफ 25% से बढ़कर 50% हो गया है.एक्सपोर्ट में 15-30% तक की गिरावट संभव है.भारतीय कंपनियां दुबई (10% टैरिफ) और मेक्सिको (25% टैरिफ) में शिफ्ट होने के लिए सोच रही हैं.अब ऐसे में भारत के पास ऑप्शन है कि वो अमेरिका के साथ बाइलैटरल डील करे और यूरोप में डायमंड एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे. टेक्सटाइल और कपड़ेभारत ने 2024 में अमेरिका को 87,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट किया था.टैरिफ के बाद भारतीय कपड़े 50 फीसदी तक महंगे हो जाएंगे.मांग में 20-25% की कमी हो सकती है.ऐसे में अमेरिकी मार्केट में भारत का हिस्सा 33% से घटकर 20-25% हो सकता है.भारत के पास इसके लिए भी विकल्प मौजूद है कि वो यूरोप, यूके और यूएई पर फोकस करे, क्योंकि ये भारत के एक्सपोर्ट का 45 फीसदी हिस्सा हैं.यह भी पढ़ें: रूस के कौन-कौन से शहर यूरोप में आते हैं और कौन-से एशिया में? देख लें पूरी लिस्ट