तबाही से पहले ये संकेत देती है लैंडस्लाइडिंग, पहचान लिए तो बच सकती है जान

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जम्मू कश्मीर में भारी बारिश के कारण कटरा में वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन हुआ जिसमें 30 लोगों की जान चली गई जबकि कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. बता दें कि भूस्खलन एक ऐसी घटना है जिसमें मिट्टी, चट्टानें और पेड़-पौधे ढलान के साथ तेजी से नीचे की ओर खिसकते हैं. यह जानलेवा हो सकता है लेकिन अगर समय रहते इसके संकेतों को पहचान लिया जाए तो आप और आपके परिवार की जान बचाई जा सकती है. चलिए जानते हैं भूस्खलन के पहले मिलने वाले बड़े संकेत और बचाव के उपाय.भूस्खलन के पहले मिलने वाले संकेतपहला संकेत है मिट्टी या चट्टानों का असामान्य हलचल. अगर आप देखते हैं कि जमीन में दरारें पड़ रही हैं खासकर ढलानों पर या पेड़ और खंभे झुक रहे हैं तो यह खतरे की घंटी है.इसके अलावा अगर जमीन से अचानक पानी रिसने लगे या झरने का प्रवाह बदल जाए, तो यह भूस्खलन का संकेत हो सकता है. चट्टानों के टकराने, पेड़ों के टूटने या जमीन के खिसकने की गड़गड़ाहट जैसी आवाजें सुनाई देना भी एक बड़ा लक्षण है. इसके अलावा भारी बारिश, भूकंप या बर्फ पिघलने जैसी घटनाएं भूस्खलन को ट्रिगर कर सकती हैं. अगर आप पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं और लगातार बारिश हो रही है तो सतर्क रहें.बचाव के उपायसबसे पहले हमेशा स्थानीय प्रशासन और मौसम विभाग की चेतावनियों पर नजर रखें. अगर भूस्खलन की चेतावनी जारी की गई है तो तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएं. अपने घर और आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करें. अगर दरारें या मिट्टी का कटाव दिखे तो तुरंत विशेषज्ञों से संपर्क करें. यदि आपका घर भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में है तो बेहतर होगा कि आप इसे खाली कर दें. आपातकालीन किट तैयार रखें जिसमें पानी, भोजन, दवाइयां, टॉर्च और जरूरी दस्तावेज शामिल हों. भूस्खलन के समय ऊंचे और मजबूत स्थान पर शरण लें. नदियों, नालों या ढलानों के पास न रुकें. अगर आप बाहर हैं और भूस्खलन शुरू हो जाए तो तुरंत ऊंचाई की ओर दौड़ें और खुले मैदान में रहें.इसे भी पढ़ें- बादल फटने से कितनी अलग होती है लैंडस्लाइडिंग, किसमें होती है ज्यादा तबाही?बादल फटने से कितनी अलग होती है लैंडस्लाइडिंग, किसमें होती है ज्यादा तबाही?