बादल फटने से कितनी अलग होती है लैंडस्लाइडिंग, किसमें होती है ज्यादा तबाही?

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जम्मू कश्मीर के कटरा में मंगलवार को वैष्णो देवी मार्ग पर बड़ा हादसा हुआ है. भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड में 30 लोगों की मौत हो गई. मलबे में और भी कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है. बीते दिनों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश ने भारी तबाही मचाई है. बादल फटना और भूस्खलन ने कई लोगो की जान ले ली. बता दें कि बादल फटने और भूस्खलन ये दोनों ही घटनाएं पहाड़ी और मैदानी इलाकों में भारी नुकसान पहुंचाती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें क्या अंतर है और इनमें से कौन ज्यादा तबाही मचाता है? चलिए जानते हैं.बादल फटना क्या हैसबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर बादल फटना किसे कहते हैं तो बादल फटना वो स्थिति है जिसमें अचानक और बहुत कम समय में भारी मात्रा में बारिश होती है. यह आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में देखा जाता है जहां एक छोटे से क्षेत्र में तेज गति से बारिश होती है. यह बारिश इतनी तेज होती है कि नदियां, नाले और जलाशय उफान पर आ जाते हैं जिससे अचानक बाढ़ आती है. बादल फटने की घटना कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक चल सकती है. भूस्खलन क्या है?दूसरी ओर भूस्खलन तब होता है जब पहाड़ों या ढलानों की मिट्टी, चट्टानें या अन्य सामग्री गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे की ओर खिसकती हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे भारी बारिश, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या अवैध खनन. भूस्खलन में मलबा, पत्थर और मिट्टी तेजी से नीचे आते हैं जो रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट कर सकते हैं.कौन ज्यादा खतरनाक?दोनों ही आपदाओं में जानमाल का भारी नुकसान होता है लेकिन बादल फटने का दायरा बड़ा होने से यह ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है. बादल फटने से होने वाली बाढ़ बड़े क्षेत्र को प्रभावित करती है. उदाहरण के लिए, 2013 की केदारनाथ त्रासदी में बादल फटने से हजारों लोगों की जान गई. दूसरी ओर भूस्खलन का प्रभाव सीमित क्षेत्र में होता है, लेकिन यह बहुत घातक हो सकता है. बीते साल केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन में 93 लोगों की जान चली गई थी जिसकी तस्वीर बेहद भयानक थी.इसे भी पढ़ें-ये हैं दुनिया के सबसे सुरक्षित देश, जहां दरवाजे की कुंडी तक नहीं लगाते लोग