फैजाबाद जिसे अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है, कभी अवध की राजधानी हुआ करता था. 18वीं शताब्दी में नवाब शुजा-उद-दौला ने इस शहर को बसाया और दिलकुशा कोठी का निर्माण करवाया. यह कोठी न केवल उनकी शाही शान का प्रतीक थी, बल्कि अवध के सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र का हिस्सा भी थी. क्या आपको पता है फैजाबाद की जिस दिलकुशा कोठी पर अब साकेत सदन बन रहा है, वहां कभी अफीम की खेप रखी जाती थी. चलिए जानते हैं इस कोठी के इतिहास और इसके पुनर्विकास की कहानी. क्या है दिलकुशा कोठी का इतिहास?दिलकुशा कोठी ऐसी ऐतिहासिक इमारत है, जिसका कनेक्शन अवध के नवाबों से है. यहां नवाब का दरबार लगता था और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे. हालांकि, अंग्रेजी शासन के दौरान इस इमारत का उपयोग बदल गया. यहां अफीम की खेप रखी जाने लगी. यही कारण है कि इसे 'अफीम कोठी' के नाम से जाना जाने लगा. इस नाम ने इस ऐतिहासिक इमारत की पहचान को कुछ हद तक धूमिल कर दिया.साकेत सदन के रूप में पुनर्विकासितसमय के साथ रखरखाव की कमी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह इमारत खंडहर में तब्दील हो गई. जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर से नया जीवन देने की तैयारी में है. दिलकुशा कोठी को साकेत सदन के रूप में पुनर्विकासित किया जा रहा है, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है. इस परियोजना की लागत 16.82 करोड़ रुपये है और 75% से अधिक कार्य पूरा हो चुका है. क्या है सरकार का प्लान?सरकार का प्लान है कि इस कोठी की जगह एक संग्रहालय बनाया जाए. साकेत सदन को हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा. जहां हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और धार्मिक वस्तुएं प्रदर्शित होंगी. यह अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और मजबूत करेगा. भक्तों की आस्था का केंद्र रहे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद से ही भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. ऐसे में अयोध्या आने वाले श्रद्धालु यहां इतिहास और आस्था दोनों से जुड़ सकेंगे.इसे भी पढ़ें- जल्द मिट जाएगा फैजाबाद बसाने वाले नवाब की कोठी का नामोनिशां, जान लें इसकी पूरी कहानी