नौकरियों के आवेदन के साथ ही राज्य एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश एवं छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए जाति के प्रमाण की आवश्यकता पढ़ती है। पात्रता होने पर नियमानुसार यह दस्तावेज बनवाना हमारा अधिकार है जबकि गलत तरीके से फर्जी दस्तावेज बनवाने पर कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के अंतर्गत अपराध है।