अक्सर हम यह मान लेते हैं कि अगर किसी के पास आधार कार्ड, पासपोर्ट या पैन कार्ड नहीं है, तो उसकी पहचान और नागरिकता साबित करना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय नागरिकता सिर्फ इन तीन दस्तावेजों पर निर्भर नहीं करती है. इसके पीछे कानून और कई दूसरे विकल्प मौजूद हैं, जिनके जरिए कोई भी व्यक्ति अपनी भारतीय पहचान को साबित कर सकता है.सिर्फ आधार और पैन जरूरी नहीं हैभारत में नागरिकता साबित करने की नींव नागरिकता अधिनियम, 1955 पर आधारित है. इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति भारत में पैदा हुआ है और उसके माता-पिता भारतीय हैं, या फिर उसने लंबे समय तक यहां रहकर नागरिकता ली है तो वह भारतीय नागरिक माना जाएगा. यानी पहचान के लिए सिर्फ आधार, पैन और पासपोर्ट ही जरूरी नहीं है.अन्य चीजों से साबित कर सकते हैं नागरिकताअगर किसी के पास ये जरूरी पहचान पत्र नहीं हैं, तो वह अन्य सरकारी और स्थानीय दस्तावेजों की मदद से नागरिकता साबित कर सकता है, जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल या कॉलेज का रिकॉर्ड, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, बिजली-पानी का बिल, मकान की रजिस्ट्री के कागज, पंचायत या नगर निगम द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट, यहां तक कि सरकारी नौकरी या सेवा से जुड़े कागजात भी नागरिकता के सबूत हो सकते हैं.स्थानीय प्रशासन से ले सकते हैं मददकई बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति के पास इन दस्तावेजों में से भी कुछ नहीं होता है. ऐसे हालात में स्थानीय प्रशासन मदद करता है. तहसील, नगर निगम या पंचायत से प्रमाण पत्र बनवाकर भी नागरिकता साबित की जा सकती है. कई मामलों में स्कूल के पुराने रजिस्टर, अस्पताल के रिकॉर्ड, यहां तक कि ग्राम प्रधान या नगर पालिका की सिफारिश भी सबूत के रूप में मान ली जाती है. अदालत या जांच एजेंसी गवाहों और पड़ोसियों की गवाही भी दर्ज कर सकती है.सरकार की ओर से ऐसे कई नियम बनाए गए हैं कि हर नागरिक आसानी से अपनी पहचान साबित कर सके और किसी तरह की दिक्कत न हो. यही वजह है कि अब जन्म प्रमाण पत्र की उम्र सीमा भी खत्म कर दी गई है, यानी कोई भी व्यक्ति कभी भी जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकता है.यह भी पढ़ें: कैसे बनवा सकते हैं बर्थ सर्टिफिकेट? नागरिकता के लिए सबसे जरूरी होता है ये डॉक्यूमेंट