CRPF सिक्योरिटी से कितना मजबूत होता है Z+ सुरक्षा कवच, दोनों में कितना अंतर?

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भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में नेताओं, बड़े अधिकारियों, जजों और अन्य खास लोगों की सुरक्षा एक अहम मुद्दा है. कुछ लोगों को अपने पद, फैसलों या सामाजिक भूमिका के कारण जान का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में केंद्र सरकार और खुफिया एजेंसियां समय-समय पर उनके खतरे का आंकलन करती हैं कि उन्हें किस स्तर की सुरक्षा दी जाए. इसी प्रक्रिया के तहत देश में VIP सिक्योरिटी को पांच मुख्य कैटेगिरी में बांटा गया है, जिसमें  X, Y, Y+, Z और Z+ सुरक्षा शामिल है. इनमें Z और Z+ सबसे हाई लेवल की सुरक्षा कैटिगिरी है.हाल ही में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर कई बदलाव देखने को मिले. उन्हें CRPF की Z कैटेगरी सिक्योरिटी दी गई, फिर वापस ले ली गई और बाद में Z+ सुरक्षा दी गई. ऐसे में CRPF सिक्योरिटी के लेकर Z+ तक की सुरक्षा अब चर्चा का विषय बन गए हैं और लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि CRPF सिक्योरिटी से Z+ सुरक्षा कवच कितना मजबूत होता है और दोनों में कितना अंतर है. Z+ सुरक्षा क्या है और कितनी मजबूत होती है?Z+ सुरक्षा भारत में VIP के लिए सबसे मजबूत सुरक्षा मानी जाती है. इस स्तर की सुरक्षा जिस व्यक्ति को मिलती है, उसे देश के सबसे हाई रिस्क जोन में माना जाता है. इस सुरक्षा में 55 से 58 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं, इनमें से 10-12 NSG कमांडो होते हैं, साथ ही 24x7 सुरक्षा मिलती है. इसमें बुलेटप्रूफ गाड़ी, पायलट व्हीकल और स्काउट कारें मिलती है. हर कमांडो अत्याधुनिक हथियार और संचार सिस्टम से लैस होते हैं. हर कदम पर हाई लेवल सिक्योरिटी प्रोटोकॉल होता है. CRPF सिक्योरिटी यानी Z सुरक्षा क्या होती है?Z सुरक्षा भी एक हाई लेवल की सुरक्षा है, लेकिन Z+ से थोड़ी कम. यह उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें मीडियम से हाई लेवल का खतरा होता है, लेकिन जानलेवा खतरा नहीं होता है. Z सुरक्षा में करीब 22 सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिसमें 4 से 6 NSG या CRPF कमांडो शामिल हैं. इसमें सुरक्षा में लगे जवान ज्यादातर CRPF, दिल्ली पुलिस या ITBP से होते हैं. Z श्रेणी की सुरक्षा आम तौर पर उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें किसी विशेष आंदोलन, केस या सामाजिक मुद्दे के कारण खतरा होता है. Z और Z+ सुरक्षा में मुख्य अंतर क्या है?Z सुरक्षा में 22 जवान होते हैं, जबकि Z+ में 55 से 58 तक सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, वहीं Z में 4-6 कमांडो होते हैं, Z+ में 10-12 NSG के ब्लैक कैट कमांडो शामिल होते हैं. इसके अलावा Z सुरक्षा CRPF, ITBP या दिल्ली पुलिस देती है, जबकि Z+ में CRPF के साथ भी शामिल होती है. Z सुरक्षा में 1-2 सामान्य गाड़ियां मिलती हैं, तो Z+ में बुलेटप्रूफ कार, स्काउट और पायलट वाहन होते हैं. Z में 4-6 PSO होते हैं, लेकिन Z+ में 10-12 PSO हर समय साथ रहते हैं. Z सुरक्षा खास मौकों तक सीमित होती है, वहीं Z+ में हर समय, हर स्थान पर सुरक्षा रहती है. Z सुरक्षा मीडियम से हाई खतरे वालों को दी जाती है, जबकि Z+ सुरक्षा हाई से एक्स्ट्रीम खतरे वालों के लिए होती िहै. यह भी पढ़ें : भारत के किस राज्य की विधानसभा है सबसे बड़ी? बिल्डिंग के साइज के हिसाब से जान लें आंकड़ा