भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव चल रहा है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत और अमेरिका के रिश्ते में खटास आई हो. इससे पहले भी भारत और अमेरिका के बीच कई बार ऐसे मौके आए जब दोनों के बीच रिश्ते तल्ख हुए. अमेरिका ने भारत पर पहले भी कई बार दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन भारत ने उसे करारा जवाब दिया. चलिए आज हम आपको उस ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे में बताते हैं. जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अमेरिका के तगड़े दबाव का सामना किया और भारत की संप्रभुता को कायम रखा.कब-कब अमेरिका ने बनाया दबाव1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे उनकी सरकार ने पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए. इन परीक्षणों ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया. लेकिन इस कदम से अमेरिका नाराज हो गया. अमेरिका ने भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए और कूटनीतिक दबाव बनाना शुरू किया. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत को अपनी परमाणु नीति बदलने के लिए दबाव डाला, लेकिन वाजपेयी सरकार अडिग रही. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने साफ कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा. कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका का दबावइसके बाद 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने फिर दबाव बनाया. जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था, बिल क्लिंटन ने वाजपेयी को फोन कर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से बातचीत के लिए अमेरिका आने को कहा. लेकिन वाजपेयी ने दो टूक जवाब दिया, 'जब तक पाकिस्तान के कब्जे में भारत की एक इंच भी जमीन है, मैं बात नहीं करूंगा.' यह बयान लोकसभा में उनके भाषण का हिस्सा था, जिसका वीडियो आज भी वायरल होता है. वाजपेयी ने न केवल अमेरिकी दबाव को ठुकराया, बल्कि पाकिस्तान को भी सख्त संदेश दिया कि आतंकवाद और युद्ध बंद होने तक कोई समझौता नहीं होगा. वाजपेयी के इस दृढ़ रुख से अमेरिका भी हैरान था और उसे अपनी नीति बदलनी पड़ी. जो भारत की कूटनीतिक जीत थी.इसे भी पढ़ें-चांद पर आशियाना बसाने की फिराक में ये देश, जानें लिस्ट में कहां है भारत?