नब्बे के दौर में कश्मीर में मिलिटेंसी ऐसे पनप रही थी, जैसे गीली ब्रेड पर फफूंद उग आए. पाकिस्तान कश्मीरियों को अपने यहां न्यौतने लगा कि वे आएं, ट्रेनिंग ले और लौटकर अपने मिशन में लग जाएं. ऐसे ही एक एक्स-मिलिटेंट से aajtak.in की बात हुई. उस दौर में डिवीजनल कमांडर रह चुके फारूख कई बातें बताते हैं.