केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में 130वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया है। इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा। वर्तमान में स्थिति यह है कि देशभर में 45% विधायक और 46% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बात करें महिलाओं से जुड़े अपराधों की तो इसमें पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। आंध्र प्रदेश का दूसरा नंबर है। देशभर में 45% विधायकों ने अपने ऊपर क्रिमनल केस घोषित किए हैं, जबकि 29% गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं। विधायकों पर क्रिमनल केसों में आंध्र प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इसके बाद केरल, तेलंगाना और बिहार का स्थान है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। तेजी से बढ़ रहा आपराधिक नेताओं का प्रतिसंसद में समय के साथ यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 2009 में 30% सांसदों पर आपराधिक मामले और 14% पर गंभीर मामले दर्ज थे। 2014 में यह आंकड़ा एक-तिहाई और एक-पांचवां हो गया। 2019 में 43% सांसदों पर आपराधिक मामले और लगभग 29% पर गंभीर आरोप थे। 2024 के चुनावों के बाद गठित संसद में यह संख्या और बढ़ गई, अब 46% सांसद आपराधिक मामलों और 31% गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं। ................................. ये खबर भी पढ़ें... रिपोर्ट- देश के 40% मुख्यमंत्रियों पर क्रिमिनल केस: 33% पर किडनैपिंग, रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोप देश के 30 मुख्यमंत्रियों में से 12 यानी 40% मुख्यमंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 10 यानी 33 फीसदी पर हत्या की कोशिश, किडनैपिंग और रिश्वतखोरी जैसे गंभीर केस हैं। तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी पर सबसे ज्यादा 89 मामले दर्ज हैं। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। पूरी खबर पढ़ें...