पिछले कुछ समय से शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स ने निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं दिया है। रूस-यूक्रेन और इजराइल-ईरान युद्ध के साथ ही भारत-पाकिस्तान तनाव और अब ट्रंप टैरिफ जैसी स्थितियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय हालात और घरेलू स्तर पर लिए जा रहे फैसलों का सीधा असर निवेश पर पड़ा है। नतीजा यह हुआ कि ज्यादातर लोगों का पोर्टफोलियो लाल निशान में दिखाई दे रहा है। ऐसे में आम निवेशक के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि अब आगे क्या करें? निवेश रोक दें, या फिर घाटे से बचने और अच्छे रिटर्न के लिए रणनीति बदलें? दरअसल, बाजार की चाल समझकर और सही समय पर सही जगह निवेश करना ही आगे का रास्ता है। जरूरी है कि निवेशक यह जानें कि कितना पैसा कब और कहां लगाना सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है। यही समझ आने वाले समय में उनके पैसे को घाटे से निकालकर मुनाफे की तरफ ले जाएगी। ऐसे में आज हम आपका पैसा कॉलम में जानेंगे कि- सवाल- घाटे वाले पोर्टफोलियो को तुरंत रिडीम करना सही है या धैर्य रखना चाहिए? जवाब- ज्यादातर निवेशक जब देखते हैं कि उनका पोर्टफोलियो घाटे में है, तो तुरंत पैसे निकालने का मन बना लेते हैं। हालांकि ऐसा कदम हमेशा सही कदम नहीं होता है। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स का स्वभाव ही उतार-चढ़ाव वाला है। अगर आपका का लक्ष्य लॉन्ग-टर्म है, तो धैर्य रखना ज्यादा फायदेमंद है। समय के साथ कंपनियों की फंडामेंटल वैल्यू और बाजार की रिकवरी से घाटा धीरे-धीरे मुनाफे में बदल सकता है। हां, अगर किसी स्कीम या स्टॉक की फंडामेंटल वैल्यू कमजोर हो गई है या उसमें लगातार गिरावट की संभावना है, तभी रिडेम्प्शन पर विचार करना चाहिए। सवाल- क्या बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी प्रॉफिट कमाया जा सकता है? जवाब- बिल्कुल, उतार-चढ़ाव का मतलब केवल नुकसान नहीं होता है। दरअसल, वोलेटाइल मार्केट में अच्छे स्टॉक्स या फंड्स कम कीमत पर मिल सकते हैं। ऐसे समय में व्यवस्थित तरीके से निवेश जारी रखने से लॉन्ग-टर्म में औसत लागत घटती है और बेहतर रिटर्न का मौका मिलता है। शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव परेशान कर सकता है, लेकिन सोच-समझकर की गई एंट्री और धैर्य लंबे समय में निवेशकों को फायदा पहुंचाती है। सवाल- बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान कहां निवेश करना सुरक्षित है? जवाब- बाजार में जब उतार-चढ़ाव का दौर चल रहा हो या बाजार में गिरावट हो तो, समझदारी से सुरक्षित निवेश करना चाहिए। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सवाल- ऐसे समय में पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना कितना सही है? जवाब- मार्केट में उतार-चढ़ाव के समय निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करते हैं। ऐसे में गोल्ड हमेशा से बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह अस्थिरता में भी अपनी वैल्यू बनाए रखता है। वहीं, बॉन्ड्स या गवर्नमेंट सिक्योरिटीज स्थिर ब्याज और कम रिस्क के कारण भरोसेमंद माने जाते हैं। इसके अलावा, फिक्स् डिपॉजिट (FD) गारंटीड रिटर्न देने वाला सुरक्षित विकल्प है, हालांकि इसमें ग्रोथ सीमित रहती है। वहीं, डेब्ट म्यूचुअल फंड्स एफडी की तुलना में ज्यादा लिक्विड और टैक्स-फ्रेंडली होते हैं, इसलिए निवेशकों के लिए बैलेंस्ड और सुरक्षित निवेश का बेहतर जरिया बन सकते हैं। पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन उतार-चढ़ाव वाले समय में सबसे असरदार रणनीति है। इसके कई सारे फायदे हैं। आइए इन्हें ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सवाल- शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी में कैसे फर्क करें? जवाब- शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी में सबसे बड़ा फर्क समय और उद्देश्य का होता है। इसमें निवेशक का मकसद पूंजी सुरक्षित रखना और जरूरत पड़ने पर तुरंत पैसा निकाल पाना होता है। वहीं, लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटजी 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए बनाई जाती है। इसका फोकस वेल्थ क्रिएशन और ग्रोथ पर होता है। सवाल- क्या उतार-चढ़ाव में नए निवेशक के लिए बाजार में एंट्री करना फायदेमंद है या रिस्की? जवाब- नए निवेशकों के लिए वोलेटाइल मार्केट रिस्क और फायदा दोनों तरह का मौका देता है। उतार-चढ़ाव के समय अच्छी कंपनियों के शेयर या फंड्स कम दाम पर मिल सकते हैं। इससे लंबे समय में ज्यादा रिटर्न मिलता है। लेकिन नए निवेशकों को एक साथ बड़ा पैसा लगाने से बचना चाहिए। बेहतर होगा कि वे SIP के जरिए धीरे-धीरे एंट्री करें ताकि रिस्क कम हो और औसत लागत घटे। सवाल- वोलेटाइल मार्केट के दौरान स्विचिंग कितना जरूरी है? जवाब- स्विचिंग यानी एक फंड या स्टॉक से निकलकर दूसरे निवेश के तरीकों में जाना। वोलेटाइल मार्केट में यह तभी करना चाहिए जब आपके चुने हुए फंड की फंडामेंटल वैल्यू कमजोर हो या उसका सेक्टर लगातार गिरावट में हो। केवल गिरावट देखकर जल्दबाजी में स्विच करना गलत हो सकता है। सही रणनीति यह है कि निवेशक अपनी रिस्क प्रोफाइल, गोल्स और फंड की क्वालिटी देखकर ही स्विचिंग करें। …… पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें आपका पैसा-40 की उम्र तक बनाएं एक करोड़ का फंड: उम्र 22 साल, सैलरी 20 हजार, जानिए कहां, कितना और कैसे करें इन्वेस्ट जब भी हमारी पहली नौकरी लगती है, हमारे पास कोई खर्च नहीं होता है और न ही जिम्मेदारियां होती हैं। इस दौरान हम अपनी कमाई घूमने-टहलने, फिल्में देखने, शौक पूरे करने में खर्च करते हैं। पूरी खबर पढ़ें