CPEC शुरू से ही भारत के लिए चिंता का विषय रहा है, क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है. अब जब इसे ‘CPEC 2.0’ के तहत विस्तार दिया जा रहा है, तो यह न केवल पाकिस्तान-चीन की आर्थिक साझेदारी को मजबूत करेगा बल्कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन के लिए भी चुनौती बन सकता है.