Edited by:Rakesh Ranjan KumarLast Updated:September 05, 2025, 17:37 ISTइम्पैक्ट शॉर्ट्ससबसे बड़ी खबरों तक पहुंचने का आपका शॉर्टकटजम्मू-कश्मीर में मारे गए अधिकतर आतंकी विदेशी हैं. (फाइल फोटो)नई दिल्ली. पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे को स्थानीय बनाने की कोशिश करता रहा है. पाकिस्तान ने हिजबुल मुजाहिदीन को एक स्थानीय आतंकवादी संगठन के इरादे से बनाया था. हिजबुल मुजाहिदीन के पतन के बाद उसने लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) बनाया.पाकिस्तान कई दशकों से यही चाहता रहा है कि स्थानीय लोग जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल हों. उसकी मंशा इस बात का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना से बचना था कि स्थानीय लोग कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं और इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है.हालांकि, भारतीय एजेंसियां हमेशा पाकिस्तान के इस झांसे को बेनकाब करने में कामयाब रही हैं. हाल ही में पहलगाम हमले में भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साफ शब्दों में कहा था कि हमलावर पाकिस्तान से थे और पूरा हमला इस्लामाबाद समर्थित था.अब एक प्रमुख कश्मीरी गैर-सरकारी संगठन, ‘सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन’ की एक विस्तृत रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में 60 प्रतिशत अचिह्नित कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 30 प्रतिशत कब्रें स्थानीय आतंकवादियों की हैं. हालांकि, सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि सिर्फ 0.2 प्रतिशत कब्रें (9) नागरिकों की हैं.यह रिपोर्ट दो प्रमुख मुद्दों को सुलझाती है. पहला, कश्मीर में स्थानीय लोगों की तुलना में पाकिस्तानी आतंकी ज्यादा सक्रिय थे. दूसरा, कई लोगों ने नागरिकों की व्यापक हत्याओं के दावों को भी खारिज कर दिया है.‘अनरेवेलिंग द ट्रुथ: ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ अनमार्क्ड एंड अनआइडेंटिफाइड ग्रेव्स इन कश्मीर वैली’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि 2,493 कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं, जबकि 1,208 स्थानीय लोगों की हैं. 9 कब्रें नागरिकों की हैं, जबकि 70 कब्रें 1947 के युद्ध के कबायली हमलावरों की हैं.पाकिस्तान लंबे समय से यह दिखाने का एजेंडा चला रहा है कि स्थानीय लोग ही आतंकवादी हमले कर रहे हैं. उसने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने गुर्गों के जरिए यह कहानी गढ़ने की भी कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की सामूहिक हत्याएं हो रही हैं. इन लोगों ने यह भी कहा कि नागरिक मारे जा रहे हैं और इसे अज्ञात कब्रों से जोड़ा गया. हालांकि, रिपोर्ट इस मिथक को तोड़ती है.‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान का ‘फेक नैरेटिव’ अपने चरम पर था. प्रथम फील्ड मार्शल ने दावा किया कि भारत ने ही पाकिस्तान से ऑपरेशन रोकने का अनुरोध किया था. पाकिस्तान ने झूठ फैलाने के लिए आधिकारिक चैनलों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों में दहशत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की कार्रवाई को लेकर भ्रम पैदा करना था.पाकिस्तान ने भारत में सिखों को नाराज करने की भी कोशिश की, जब उसने झूठा दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हमला किया था. पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि भारत ने अमृतसर पर मिसाइलें दागी थीं.भारत हमेशा से पाकिस्तान के झांसे को बेनकाब करने में कामयाब रहा है, लेकिन ऐसी रिपोर्टों और एनआईए की हालिया जांच का इस्तेमाल नई दिल्ली के दृष्टिकोण को सामने लाने के लिए किया जाएगा. इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि जिन कब्रों के बारे में पाकिस्तान झूठ बोल रहा है, उनसे जुड़ी यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इस्लामाबाद को बेनकाब करने में मददगार साबित होगी.एनआईए की जांच पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ा झटका साबित होगी. इसमें न सिर्फ यह पता चला कि तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के थे, बल्कि फंडिंग रूट का भी पता चला, जो स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी लिंक की ओर इशारा करता है.About the AuthorRakesh Ranjan Kumarराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ेंराकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h... और पढ़ेंन्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।homenationJ&K में 2493 कब्रें विदेशी आतंकियों की, PAK के टेररिस्ट नैरेटिव की खुल गई पोलऔर पढ़ें