बॉलीवुड एक्टर विजय वर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. 2019 में रिलीज हुई फिल्म गली बॉय से उन्हें खूब पॉपुलैरिटी मिली और इसके बाद उनके पास शानदार प्रोजेक्ट्स की लाइन लग गई. लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब सब ठहर गया तो विजय वर्मा डिप्रेशन के शिकार हो गए. तब उन्हें आमिर खान की बेटी आयरा खान और उनके एक्टर गुलशन देवैया ने इससे उबरने में मदद की.रिया चक्रवर्ती के साथ हाल ही में बात करते हुए विजय वर्मा ने अपने डिप्रेशन के दौर को याद किया. एक्टर ने कहा- 'मैं मुंबई में एक अपार्टमेंट में बिल्कुल अकेला था. खुशकिस्मती से मेरे पास एक छोटी सी छत थी. मैं आसमान देख सकता था, नैचुरल एलिमेंट्स के साथ रह सकता था. वरना मैं पागल हो जाता. सच कहूं तो मैं पागल हो गया था.''आयरा और गुलशन एक छोटे से सपोर्ट सिस्टम...'विजय वर्मा ने आगे बताया- 'और फिर एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं चार दिनों तक अपने सोफे से क्यों नहीं हिल पा रहा हूं? क्या हो रहा है? तब आयरा और गुलशन मेरे लिए एक छोटे से सपोर्ट सिस्टम की तरह थे. आयरा दहाड़ में असिस्ट कर रही थीं और शूटिंग के दौरान हम सब अच्छे दोस्त बन गए थे. हम जूम पर एक-दूसरे से वीडियो कॉल करते थे, डिनर करते थे. बस यही हमारा दायरा था. लेकिन मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी. आयरा ही सबसे पहले कहती थीं कि विजय, मुझे लगता है तुम्हें थोड़ा हिलना-डुलना शुरू करना चाहिए.'हिल-डुल नहीं पा रहे थे विजय वर्माएक्टर ने कहा- 'आखिरकार मैंने एक थेरेपिस्ट से बात की क्योंकि मैं हिल-डुल नहीं पा रहा था. मैं उनसे जूम पर मिला और मुझे स्ट्रेस और डिप्रेशन का पता चला. उस समय ये काफी सीरियस थे. उन्होंने कहा कि अगर ये काबू में आ जाए तो ठीक है, वरना हम दवा लेने के बारे में सोचेंगे. मैंने कहा कि देखता हूं.' इसके बाद विजय बताते हैं कि थेरेपी और योग से काफी कुछ बेहतर हो गया.उन्होंने कहा- 'दोनों ने सब कुछ सतह पर ला दिया. मैं अपनी योगा मैट पर लेट जाता, और तीसरे या चौथे सूर्य नमस्कार तक, मैं बेहोश हो जाता, बिना किसी वजह के घंटों रोता रहता. ये गहरा डिप्रेशन था, जिसमें अनसुलझे इमोशन और अनसुलझे गिल्ट भी शामिल थे.'आयरा खान ने डिप्रेशन से उबरने में की मददविजय वर्मा आगे बताते हैं- 'आयरा ही थीं जिन्होंने कहा था कि विजय, तुम्हें चलना शुरू करना होगा. और उन्होंने मुझे जूम क्लासेस में शामिल किया और मुझे ट्रेन किया. उन्होंने कहा कि थेरेपी बुरी नहीं है. तुम्हें थेरेपी जरूर आजमानी चाहिए.'