क्या होता है थिएटर कमांड और कैसे करता है काम? अमेरिका-चीन का इसी के दम पर बोलता है दुनिया में डंका

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भारत की रक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. यह बदलाव थिएटर कमांड है. आज की तारीख में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना अपनी-अपनी अलग कमांड संरचना के तहत काम करती हैं. इस वजह से कई बार आपसी तालमेल में दिक्कतें आती हैं और संसाधनों का इस्तेमाल भी पूरी क्षमता से नहीं हो पाता है. इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए थिएटर कमांड की अवधारणा सामने आई है, जिसे लागू करने पर भारत की युद्ध क्षमता और भी मजबूत हो सकती है.थिएटर कमांड से हो सकेंगे बेहतर फैसलेचीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान का मानना है कि तीनों सेनाओं को एक साथ ढांचे में जोड़ने से युद्ध के समय तुरंत और बेहतर फैसले लिए जा सकेंगे. इसी दिशा में 2023 में इंटर-सर्विस ऑर्गेनाइजेशन कमांड, कंट्रोल और डिस्पिलन एक्ट पारित किया गया. इसके अंतर्गत नए नियम भी अधिसूचित कर दिए गए हैं, जिससे थिएटर कमांड को लागू करने की राह आसान होगी. चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर थिएटर कमांड क्या है?थिएटर कमांड क्या है?थिएटर कमांड का मतलब है कि किसी खास भौगोलिक क्षेत्र में तीनों सेनाएं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स एक ही कमांडर के नेतृत्व में काम करें. इसका फायदा यह होता है कि ऑपरेशन के समय सभी संसाधनों का इस्तेमाल एक साथ और सही दिशा में किया जा सकता है.मान लीजिए कि उत्तरी सीमा पर चीन के साथ कोई संघर्ष की स्थिति बनती है, तो ऐसे में वहां की थिएटर कमांड में आर्मी की जमीनी टुकड़ियां, वायुसेना की एयर डिफेंस और जरूरत पड़ने पर नेवी की यूनिट्स, सब एक ही छतरी के नीचे मिलकर ऑपरेशन करेंगी. इससे न केवल निर्णय तेजी से होंगे बल्कि दुश्मन के खिलाफ बेहतर और संयुक्त जवाब दिया जा सकेगा.अन्य देशों से सबकअमेरिका, चीन और रूस पहले से ही थिएटर कमांड मॉडल अपना चुके हैं. इन देशों का अनुभव बताता है कि इस प्रणाली से सैन्य कार्रवाई तेज और प्रभावी होती है. भारत भी अब इसी दिशा में बढ़ रहा है. लेकिन यहां इसे लागू करने से पहले जमीनी हकीकत और सभी सेनाओं की जरूरतों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है.यह भी पढ़ें: अजीत डोभाल की वो चाल और 15 साल पीछे चला गया पाकिस्तान, जानें जासूसी के मास्टरस्ट्रोक की कहानी