भारत का इतिहास बहुत ही दिलचस्प और उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है. यहां कई महान शासक हुए हैं जिन्होंने अपनी वीरता, दूरदर्शिता और कूटनीति से बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े किए. लेकिन, इतिहास की एक सच्चाई यह भी है कि जितनी मेहनत से एक राजा साम्राज्य खड़ा करता है, उसे बर्बाद होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है और कई बार इसकी सबसे बड़ी वजह रही काबिल औलाद का न होना. जब किसी साम्राज्य का वारिस ही अयोग्य निकलता है, तो चाहे साम्राज्य कितना भी बड़ा क्यों न हो, टिक नहीं पाता. आइए जानते हैं भारत के इतिहास की ऐसी कुछ मिसालें.मौर्य साम्राज्य का बिखरनासम्राट अशोक को कौन नहीं जानता, वो एक महान राजा थे. उन्होंने पूरे भारत को एकजुट किया और शांति का संदेश दिया था. लेकिन अशोक के बाद उनके बेटे और आगे की पीढ़ी में कोई उतना सक्षम नहीं निकला. उनके बेटे कुनाल और पोते भी साम्राज्य को संभाल नहीं पाए. जिसका नतीजा यह हुआ कि अशोक की मौत के कुछ दशकों के भीतर ही मौर्य साम्राज्य टुकड़े-टुकड़े होकर खत्म हो गया.गुप्त साम्राज्य का पतनगुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है. समुद्रगुप्त और विक्रमादित्य जैसे सम्राटों ने विज्ञान, कला और साहित्य में सुनहरा दौर दिया. लेकिन स्कंदगुप्त के बाद आने वाले गुप्त शासक इतने कमजोर निकले कि हूणों जैसे आक्रमणकारी आसानी से उस साम्राज्य को तोड़ गए. जिसके बाद धीरे-धीरे गुप्त वंश की पहचान ही मिट गई.दिल्ली सल्तनत की कमजोर औलाददिल्ली सल्तनत के दौर में भी यही कहानी दोहराई गई. इल्तुतमिश ने अपनी बेटी रजिया सुल्तान को वारिस बनाया, जो कि काबिल थीं, लेकिन दरबारियों और अमीर-उमरा ने उन्हें हटाकर अयोग्य शासकों को गद्दी पर बैठा दिया. खिलजी, तुगलक और लोधी वंश में यही पैटर्न देखने को मिला कि आगे की पीढ़ी सत्ता संभालने लायक ही नहीं थी और सल्तनत बिखरती चली गई.मुगलों का ढहता ताजमुगल साम्राज्य को भारत का सबसे बड़ा साम्राज्य माना जाता है. बाबर से लेकर औरंगजेब तक यह साम्राज्य खूब फला-फूला. लेकिन औरंगजेब के बाद उनकी औलाद योग्य नहीं निकली. जहांदार शाह, फर्रुखसियर, मुहम्मद शाह रंगीला जैसे कमजोर शासकों ने साम्राज्य की कमान संभाली. नतीजा मुगल ताकत धीरे-धीरे सिर्फ नाम भर की रह गई और अंग्रेजों ने मौका पाकर पूरे देश पर कब्जा कर लिया था.मराठों की हारशिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य खड़ा कर मुगलों को कड़ी चुनौती दी, लेकिन उनकी मौत के बाद उनके बेटे संभाजी भी जल्दी ही शहीद हो गए थे और आगे के शासक उतने सक्षम साबित नहीं हुए. पेशवाओं के हाथ सत्ता जरूर आई, लेकिन आंतरिक कलह और अयोग्य उत्तराधिकारियों ने मराठों को कमजोर कर दिया और फिर आखिरकार अंग्रेजों ने उन्हें भी हरा दिया.रणजीत सिंह के बाद सिख साम्राज्यमहाराजा रणजीत सिंह को शेर-ए-पंजाब कहा जाता है. उन्होंने पंजाब में एक मजबूत और समृद्ध सिख साम्राज्य बनाया था. लेकिन उनकी मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी आपस में ही लड़ते-झगड़ते रहे. इस मौके का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने पंजाब पर भी कब्जा कर लिया और इस साम्राज्य का भी ऐसे ही पतन हो गया. यह भी पढ़ें: ये हिंदू शासक अपने दम में बने थे राजा, नेपोटिज्म में नहीं मिली थी गद्दी