Liver Disease Symptoms Stool: अकसर लोग टॉयलेट में नजर डालते समय अचानक एक बदलाव देख लेते हैं पॉटी का रंग पहले जैसा नहीं रहा. पहली नजर में यह छोटी-सी बात लगती है, लेकिन यही बदलाव मन में सवाल छोड़ जाता है. रंग मामूली लगता है, पर यह शरीर के अंदर चल रही प्रक्रियाओं का इशारा भी हो सकता है. जब मल का रंग हल्का, मिट्टी जैसा या पुट्टी जैसा दिखने लगे, तो इसका संबंध उस सिस्टम से हो सकता है जो पित्त को संभालता है. इसमें लिवर, गॉलब्लैडर, औरपैंक्रियाज शामिल हैं, ये ऐसे अंग हैं जो आमतौर पर बिना किसी परेशानी के अपना काम करते रहते हैं.बिना दर्द के बदलावअक्सर यह बदलाव बिना दर्द के आता है. कभी-कभी हल्की थकान, मिचली या फिर कोई लक्षण नहीं होता. यही चुपचाप होने वाला बदलाव लोगों को परेशान करता है. इसलिए यह समझना जरूरी है कि हल्के रंग की पॉटी क्या संकेत दे सकती है, ताकि बिना घबराए सही समय पर सलाह ली जा सके और शरीर के छोटे संकेतों को नजरअंदाज न किया जाए. आमतौर पर पॉटी का भूरा रंग पित्त की वजह से होता है. लिवर पित्त बनाता है, जो पित्त वेसल्स के जरिए आंतों तक पहुंचता है. यह वसा पचाने में मदद करता है और पाचन के दौरान इसका रंग बदलता है. अगर किसी वजह से पित्त सामान्य मात्रा में आंतों तक नहीं पहुंच पाता, तो मल का रंग हल्का पड़ने लगता है। यह बदलाव धीरे-धीरे होता है, इसलिए कई बार देर तक पता नहीं चलता.गॉलब्लैडर का प्रवाह रुकने या धीमा होने के कई कारण हो सकते हैं. कभी-कभी लिवर में सूजन या इंफेक्शन के कारण पित्त कम बनता है. कई मामलों में पित्त बनता तो है, लेकिन वेसल्स में रुकावट के कारण आगे नहीं बढ़ पाता. गॉलब्लैडर की पथरी इसका एक आम कारण है. इसके अलावा, कुछ ट्यूमर चाहे कैंसर वाले हों या न हों पित्त सिस्टम पर दबाव डाल सकते हैं. नलिकाओं के अंदर धीरे-धीरे बनने वाले निशान (स्ट्रिक्चर) भी कारण बन सकते हैं.दवाओं से होती है दिक्कतकुछ दवाएं और शराब भी मल के रंग को प्रभावित कर सकती हैं. कुछ एंटीबायोटिक और ऐसी दवाएं जो लिवर पर असर डालती हैं, गॉलब्लैडर के निर्माण या उसके प्रवाह को बाधित कर सकती हैं. लंबे समय तक या अधिक मात्रा में शराब पीने से लिवर में सूजन आ सकती है. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस में पित्त का उत्पादन घट सकता है, जिसका असर पॉटी के रंग में दिखता है. ऐसे में थकान या त्वचा-आंखों का पीला पड़ना भी साथ में हो सकता है. कई बार हल्के रंग की पॉटी के साथ पीलिया भी दिखता है. ऐसा तब होता है जब पित्त से जुड़े रसायन शरीर में जमा होने लगते हैं और बाहर नहीं निकल पाते. त्वचा और आंखें पीली दिखने लगती हैं. अगर ये दोनों लक्षण साथ दिखें, तो यह पित्त प्रणाली में किसी रुकावट या धीमे प्रवाह का मजबूत संकेत हो सकता है.कब मिलें डॉक्टर से?अगर पॉटी का रंग कई दिनों तक हल्का बना रहे, तो डॉक्टर से बात करना समझदारी है खासकर जब साथ में पीलिया, खुजली, गहरा यूरिन या लगातार थकान हो, कई बार कारण अस्थायी होता है, लेकिन हमेशा नहीं. शरीर अक्सर तेज चेतावनी नहीं देता, बल्कि छोटे-छोटे संकेत भेजता है. पॉटी का रंग ऐसा ही एक शांत संकेत है जो लंबे समय तक बना रहे, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.इसे भी पढ़ें- Hair Cutting Beliefs: सोमवार से रविवार तक… किस दिन बाल कटवाने से दूर होती हैं दिक्कतें? जानें काम की बातDisclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.