'बच्चे अपने पेरेंट्स की तरह बनना चाहते हैं... इसमें कुछ गलत नहीं...', नेपोटिज्म पर बोलीं शर्मिला टैगोर

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बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर पिछले कई सालों से बहस चलती आ रही है. हर बार जब कोई स्टार किड फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखता है, तो लोग इसे लेकर अपनी राय साझा करते हैं. इस कड़ी में दिग्गज एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर ने अपना राय जाहिर की है और नेपोटिज्म और विरासत के बीच के अंतर को समझाया है.सोहा अली खान के पॉडकास्ट 'ऑल अबाउट हर' में बात करते हुए शर्मिला टैगोर ने कहा-'बच्चे अपने पेरेंट्स के काम से इंस्पायर होते हैं, ये पूरी तरह से स्वाभाविक है. बच्चों का इंस्पायर होना सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है. डॉक्टर, वकील, पेंटर, संगीतकार, हर पेशे में बच्चे अपने मां-बाप को देखकर सीखते हैं और उनकी तरह बनना चाहते हैं. ये एक सामान्य बात है और इसमें कुछ गलत नहीं है.''पहला मौका मिलना आसान हो सकता है...'शर्मिला ने आगे कहा- 'बच्चों पर पेरेंट्स का प्रभाव होना बिल्कुल नेचुरल है और ये किसी भी पेशे के लिए नॉर्मल है. सोहा की बेटी इनाया अपनी मां को काम करते हुए देखकर इंस्पायर हो रही हैं. अगर सोहा पॉडकास्ट करती हैं, तो इनाया उसमें इंटेरेस्ट दिखा रही हैं और धीरे-धीरे उसे समझने लगी हैं. अगर कोई पेरेंट्स या स्टार बहुत प्रभावशाली हैं, तो वो अपने बच्चे को पहला काम दिला सकते हैं. लेकिन इसके बाद इंडस्ट्री में ये पूरी तरह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वो उस कलाकार को पसंद करते हैं या नहीं. पहला मौका मिलना आसान हो सकता है, लेकिन आगे की कामयाबी दर्शकों की पसंद और कलाकार की मेहनत पर निर्भर करती है.'प्रोड्यूसर्स के लिए फायदेमंद होते हैं स्टार किड्स!नेपोटिज्म पर बात करते हुए शर्मिला टैगोर कहती हैं- 'अगर पेरेंट्स का प्रभाव बहुत ज्यादा है, तो शायद वो अपने बच्चे को दूसरा मौका भी दिला दें. लेकिन उनका प्रभाव यहीं तक ही सीमित होता है. फिल्म मेकर्स भी बड़े पैमाने पर इन्वेस्ट करते हैं. अगर किसी अभिनेता या स्टारकिड का नाम पहले से जाना-पहचाना है, तो ये प्रोड्यूसर के लिए थोड़ी सिक्योरिटी की तरह काम करता है. अगर आप इसे नेपोटिज्म कहते हैं, तो हो सकता है प्रोड्यूसर को इसमें ज्यादा फायदा हो, क्योंकि पहले से जाने-पहचाने नामों में एडवरटाइजिंग पर ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती. ये सिर्फ शुरुआती मदद है, लेकिन उसके बाद कलाकार की मेहनत और दर्शकों की पसंद ही तय करती है कि वह आगे बढ़ेगा या नहीं.'शर्मिला आखिर में कहती हैं- 'किसी भी स्टारकिड को सिर्फ नाम की वजह से लगातार सक्सेस मिलना नामुमकिन है. असली परीक्षा यही है कि वो अपने काम और टैलेंट से दर्शकों को इंप्रेस कर पाए.