आज की तेज रफ्तार जिंदगी में करियर को लेकर लोगों की सोच तेजी से बदल रही है. पहले जहां लोग सालों तक एक ही कंपनी में काम करना गर्व की बात मानते थे, वहीं अब कई लोग थोड़े-थोड़े समय में नौकरी बदल रहे हैं. बेहतर सैलरी, अच्छी सुविधाएं, घर के पास काम, बड़ा ब्रांड या मनपसंद प्रोफाइल, इन सब कारणों से लोग एक कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में चले जाते हैं. इसी ट्रेंड को आजकल एक नया नाम ऑफिस फ्रॉगिंग दिया गया है. इसका मतलब नौकरी से नौकरी पर कूदते रहना है, वैसे ही जैसे एक मेंढक एक पत्ते से दूसरे पत्ते पर छलांग लगाता है. बाहर से देखने पर यह तरक्की का आसान रास्ता लग सकता है, लेकिन इसके कुछ गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए, एक लाइम तक नौकरी बदलना गलत नहीं है, लेकिन जब यह आदत बन जाए, तो यह तनाव, बेचैनी और अस्थिरता की वजह बन सकती है. तो आइए जानते हैं कि ऑफिस फ्रॉगिंग क्या है, इसके पीछे के कारण क्या हैं और यह मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है. ऑफिस फ्रॉगिंग से कैसे खराब हो जाती है मेंटल हेल्थ?लोग कई अच्छे कारणों से नौकरी बदलते हैं, जैसे करियर में आगे बढ़ना, बेहतर सैलरी और सुविधाएं, प्रतिष्ठित कंपनी में काम करना, घर के नजदीक नौकरी मिलना, लेकिन कई बार इसके पीछे नकारात्मक कारण भी होते हैं, जैसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला, इमोशनल कमजोरी, ऑफिस में बार-बार निराशा मिलना, चिंता, तनाव और कम कॉन्फिडेंस और बॉस या मैनेजमेंट से तालमेल न बैठ पाना, जब कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे बार-बार नौकरी बदलता है, तो उसका असर सिर्फ करियर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक सेहत पर भी पड़ता है. कब नौकरी बदलने के बारे में सोचना सही हो सकता है?ऑफिस से घर लौटने के बाद भी दिमाग काम से बाहर नहीं आ पाता, परिवार के साथ रहते हुए भी चिड़चिड़ापन बना रहता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है, चिंता इतनी बढ़ जाती है कि नींद नहीं आती, सिरदर्द रहता है, हर वक्त अगले दिन ऑफिस जाने का डर बना रहता है, कॉन्फिडेंस में कमी महसूस होने लगती है, किसी भी चीज में मन नहीं लगता, मोटिवेशन खत्म होने लगती है. अगर ये लक्षण लगातार बने रहें, तो नौकरी बदलने पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है. ऑफिस फ्रॉगिंग की आदत किन लोगों में ज्यादा है?आज की Gen Z (जनरेशन Z) इस ट्रेंड में सबसे आगे है. यह पीढ़ी सिर्फ नौकरी की स्थिरता नहीं, बल्कि खुशी, मानसिक शांति और व्यक्तिगत मूल्यों को ज्यादा महत्व देती है. प्लेसकॉम के संस्थापक और सीईओ विशाल सूद के अनुसार, Gen Z हर नौकरी को इस नजर से देखती है कि क्या यह मेरी सोच और मूल्यों से मेल खाती है, क्या यहां मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है, क्या सीखने और आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे., क्या मैनेजमेंट पारदर्शी और सहयोगी है और अगर किसी कंपनी में ये बातें नहीं मिलती, तो युवा कर्मचारी बिना देर किए दूसरी नौकरी तलाशने लगते हैं. उनके लिए नौकरी बदलना खतरा नहीं, बल्कि एक संकेत है कि कुछ बेहतर खोजा जाए. ऑफिस फ्रॉगिंग फायदे और नुकसान बार-बार नौकरी बदलने से सैलरी बढ़ सकती है, नए स्किल्स सीखने का मौका मिलता है और अलग-अलग एक्सपीरियंस मिलते हैं. लेकिन इससे मानसिक थकान बढ़ती है, करियर में अस्थिरता आती है, रिज्यूमे पर गलत प्रभाव पड़ सकता है, लंबी अवधि में ग्रोथ रुक सकती है. यह भी पढ़ें: कमर से पैर तक रहता है दर्द, चलने-फिरने में आती है दिक्कत; जानें इस खतरनाक बीमारी के बारे में