Happy New Year 2026 Wishes Sanskrit: कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जोकि बेहद खास होती है और हम इसे कभी नहीं भूलते, जिसमें शामिल है 1 जनवरी यानी साल की पहली तारीख. साल 2026 शुरू होने वाला है और इसका काउंटडाउन (New Yaer 2026 Countdown) भी शुरू हो चुका है. 31 दिसंबर (31st Evening) की शाम से ही शुभकामनाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है. दुनियाभर के लोग एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं भेजते हैं.अलग-अलग शब्द और भाषा के जरिए लोग नववर्ष का संदेश पहुंचाते हैं. लेकिन शुभकामना यदि संस्कृत में हो फिर क्या ही कहने. अगर आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिजनों को नए साल की शुभकामनाएं यदि संस्कृत में देना चाहते हैं तो यहां देखिए संस्कृत में बेहतरीन शुभकामनाएं संदेश वो भी हिंदी अर्थ के साथ.संस्कृत में नए साल की शुभकामनाएं संदेश (New Year 2026 Wishes in Sanskrit)आशासे यत् नववर्षं भवतु मङ्गलकरम् अद्भुतकरञ्च।जीवनस्य सकलकामनासिद्धिरस्तु।नूतन वर्षाभिनंदन 2026अर्थ- मुझे आशा है कि आपके लिए यह नया साल सुखद आश्चर्य लेकर आएगा और आप अपने जीवन में जो कुछ भी पाना चाहते हैं, वह आपको मिलेगा.सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने।लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्‌।।नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएंअर्थ- जिस प्रकार सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, फूल हमेशा महकता है. उसी तरह से आने वाला नया साल आपके लिए हर दिन और हर पल के लिए मंगलमय हो.अवतु प्रीणातु च त्वां भक्तवत्सलः ईश्वरः।नववर्षशुभकामनाः/शुभाशयाः/शुभाकाङ्क्षाः।अर्थ- ईश्वर आपकी सुरक्षा करे और आप पर अपनी कृपा बनाए रखे. नए साल की शुभकामना.नातिक्रान्तानि शोचेत प्रस्तुतान्यनागतानि चित्यानि।अर्थ- बीते समय पर की गई बातों पर अब दुख करने का लाभ नहीं. इससे अच्छा है कि हम सभी वर्तमान और भविष्य पर ध्यान दें.आशासे त्वज्जीवने नवं वर्षम् अत्युत्तमं शुभप्रदं स्वप्नसाकारकृत् कामधुग्भवतु।अर्थ- उम्मीद है नया साल 2026 आपके जीवन का सबसे अच्छा साल होगा. आपके सभी सपने सच हों और आपकी सभी आशाएं पूर्ण हों.सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।।अर्थ- सब कठिनाइयों को पार करें, कल्याण ही कल्याण देखें, सभी की मनोकामना पूर्ण हो, सभी हर परिस्थिती में आनंदित रहें.नववर्ष 2026 संस्कृत श्लोक (New Year 2026 Wishes in Sanskrit Shlokas)कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। भगवद्गीता (2.47)अर्थ- तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर कभी नहीं.नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य। भगवद्गीता (2.66)अर्थ- असंयमित व्यक्ति में बुद्धि नहीं होती.सङ्गच्छध्वं सं वदध्वम्। ऋग्वेद (10.191.2)अर्थ- एक साथ चलें, एक साथ बोलें.Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.