Feelings Confusion: लड़कों में इंटरेस्ट है या लड़कियों में... किस वजह से होता है कंफ्यूजन, क्या ये स्थिति नॉर्मल?

Wait 5 sec.

Understanding Attraction Feelings: कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि उन्हें लड़कों में दिलचस्पी है या लड़कियों में और यह कंफ्यूजन आखिर क्यों होती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसा महसूस करना असामान्य नहीं है, बल्कि यह इंसानी इमोशन्स और आकर्षण की मुश्किलों का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है. अक्सर समाज में एक तय पैटर्न माना जाता है, लड़के लड़कियों के बीच रिश्ता बढेगा. कई लोग इसी नॉर्मल ढांचे में खुद को फिट करने की कोशिश करते हैं, ताकि कोई सवाल न उठे. लेकिन समय के साथ कुछ लोगों को यह समझ आने लगता है कि उनका फिजिकल अट्रैक्शन और भावनात्मक अट्रैक्शन एक ही दिशा में नहीं है. कोई व्यक्ति पुरुषों की ओर शारीरिक रूप से आकर्षित हो सकता है, जबकि महिलाओं से उसे भावनात्मक जुड़ाव ज्यादा महसूस हो. आमतौर पर लोगों में जिस जेंडर के प्रति यौन अट्रैक्शन होता है, उसी के प्रति भावनात्मक लगाव भी होता है. लेकिन हर किसी के साथ ऐसा हो, यह जरूरी नहीं. कुछ लोगों में ये दोनों तरह के आकर्षण अलग-अलग जेंडर की ओर बंटे हो सकते हैं. इसी वजह से मन में उलझन, सवाल और कभी-कभी असमंजस पैदा होता है. क्यों होता है ऐसा?कई लोग बताते हैं कि महिलाओं के साथ उन्हें गहरा भावनात्मक कनेक्शन महसूस होता है जहां बातचीत, समझ और भरोसा अहम होता है. वहीं पुरुषों के साथ आकर्षण ज्यादा शारीरिक हो सकता है. यह फर्क कई बार खुद व्यक्ति को भी कंफ्यूज कर देता है, क्योंकि वह किसी एक लेबल में खुद को पूरी तरह फिट नहीं कर पाता. कुछ लोगों के लिए महिलाओं के साथ रिश्ता सुरक्षित, स्थिर और समाज द्वारा स्वीकार्य लगता है. उन्हें लगता है कि रास्ता पहले से तय है रिश्ते का ढांचा साफ है. वहीं पुरुषों के साथ आकर्षण ज्यादा , रोमांचक और कभी-कभी डराने वाला भी हो सकता है. यह अनुभव हर व्यक्ति के लिए अलग होता है और समय के साथ बदल भी सकता है.नियमों में नहीं होता है अट्रैक्शनयह समझना जरूरी है कि यौन अट्रैक्शन और भावनात्मक अट्रैक्शनण हमेशा स्थायी या सख्त नियमों में बंधे नहीं होते. किसी दिन कोई व्यक्ति दोनों ही स्तरों पर किसी एक जेंडर की ओर अट्रैक्शन महसूस कर सकता है, और किसी और समय उसका अनुभव अलग हो सकता है. यही वजह है कि कई लोगों को लगता है कि उन्हें ऐसा साथी ढूंढना मुश्किल है, जो भावनात्मक और शारीरिक दोनों जरूरतों को पूरा कर सके. यहां एक और अहम फर्क समझना जरूरी है कि जेंडर आइडेंटिटी और फिजिकल रिलेशन ओरिएंटेशन एक चीज नहीं हैं. फिजिकल रिलेशन ओरिएंटेशन का मतलब है कि आप किसके प्रति शारीरिक, भावनात्मक या रोमांटिक अट्रैक्शन महसूस करते हैं. वहीं जेंडर आइडेंटिटी यह बताती है कि आप खुद को अंदर से कैसे देखते हैं, पुरुष, महिला या किसी और पहचान के रूप में.क्या कहते हैं एक्सपर्ट?अगर कोई व्यक्ति इस तरह की कंफ्यूजन से गुजर रहा है तो एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह पूरी तरह नॉर्मल है. खुद को समझने की प्रक्रिया में समय लग सकता है। जरूरी है कि ऐसे लोग खुद पर दबाव न डालें, अपनी भावनाओं को स्वीकार करें और भरोसेमंद लोगों से बात करें. इसे भी पढ़ें- Oversleeping Side Effects: कहीं जरूरत से ज्यादा तो नहीं सो रहे आप? हो सकती है यह गंभीर समस्या, एक्सपर्ट ने दी चेतावनीDisclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.