बांग्लादेश की पहली महिला PM खालिदा जिया का निधन:20 दिन से वेंटिलेटर पर थीं, किडनी की बीमारी थी, कल ही चुनावी नामांकन किया था

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बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख खालिदा जिया का आज सुबह 6 बजे 80 साल की उम्र में निधन हो गया। वे 20 दिन से वेंटिलेटर पर थीं। खालिदा पिछले कई साल से सीने में इन्फेक्शन, लिवर, किडनी, डायबिटीज, गठिया और आंखों की परेशानी से जूझ रहीं थीं। उनके परिवार और पार्टी नेताओं ने निधन की पुष्टि की है। खालिदा 1991 से 1996 और 2001 से 2006 तक दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। वे पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। उनके बड़े बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे थे। वे 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौटे हैं। वहीं, उनके छोटे बेटे अराफात रहमान का 2015 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। सोमवार को चुनावी नामांकन दाखिल किया था खालिदा जिया ने सोमवार (29 दिसंबर) को ही चुनावी नामांकन दाखिल किया गया था। दोपहर करीब तीन बजे पार्टी के सीनियर नेता बोगुरा-7 सीट से उनका नामांकन पत्र जमा करने डिप्टी कमिश्नर और रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पहुंचे थे। उस समय यह साफ हो चुका था कि खालिदा जिया की तबीयत बेहद नाजुक है। वे वेंटिलेटर पर थीं। इसके बावजूद BNP ने फैसला किया कि खालिदा चुनाव लड़ेंगी। बोगुरा-7 सीट का BNP के लिए खास महत्व है। इसी इलाके में पार्टी के संस्थापक और खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान का घर रहा है। खालिदा ने तीन बार 1991, 1996 और 2001 में इसी सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री पद संभाला था। विदेशी डॉक्टरों की टीम इलाज कर रही थी खालिदा को 23 नवंबर को ढाका के एवरकेयर अस्पताल में एडमिट किया था। इसके बाद उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई थी। विदेश से आए डॉक्टरों की टीम लगातार उनका इलाज कर रही थी। डॉक्टरों ने उनकी हालत को देखते हुए उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया था और फिर 11 दिसंबर से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। खालिदा के बेटे तारिक रहमान ने 25 दिसंबर इसके बाद 27 दिसंबर को उनसे अस्पताल में मुलाकात की थी। तारिक 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से बांग्लादेश लौटे हैं। तारिक रहमान की पत्नी डॉ. जुबैदा भी डॉक्टर हैं। 2018 में 10 साल की सजा मिली थी खालिदा को 8 फरवरी 2018 को ढाका की स्पेशल कोर्ट ने जिया अनाथालय ट्रस्ट के नाम पर सरकारी पैसे का गबन करने के आरोप में 5 साल की सुनाई थी। खालिदा के बेटे तारिक और अन्य 5 आरोपियों को भी 10 साल कठोर कारावास की सजा दी गई थी। इन पर 2.1 करोड़ बांग्लादेशी टका का जुर्माना भी लगा था। तारिक और अन्य 2 आरोपी फरार हो गए थे। जिया ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। इस पर कोर्ट ने 30 अक्टूबर 2018 को सुनवाई करते हुए सजा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया था। इसके बाद खालिदा ने सजा के खिलाफ लीव-टु-अपील यानी सीधे सर्वोच्च अदालत में चुनौती देने की अपील की थी। 5 साल तक कानूनी प्रक्रियाओं के चलते इसमें देरी होती रही। शेख हसीना के तख्तापलट के 1 दिन बाद खालिदा को 6 अगस्त 2024 को रिहा किया गया था। इसके बाद वे बेहतर इलाज के लिए लंदन चली गई थीं। 4 महीने वहां रहने के बाद वे 6 मई को देश लौटीं। शेख हसीना की विरोधी थीं खालिदा बांग्लादेश की राजनीति दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है, जिसमें एक अवामी लीग की नेता शेख हसीना हैं और दूसरी BNP की खालिदा जिया। 1980 के दशक में बांग्लादेश में सैन्य शासन था। तब सैन्य शासन के खिलाफ हसीना और खालिदा सड़क पर साथ-साथ आंदोलन करती थीं। 1990 में तानाशाह इरशाद की विदाई के बाद लोकतंत्र लौटा। 1991 में खालिदा जिया के चुनाव जीतने के बाद खालिदा और शेख हसीना के बीच राजनीतिक दुश्मनी बढ़ गई। 1990 के बाद बांग्लादेश में जब भी चुनाव हुए, सत्ता या तो खालिदा जिया के पास गई या शेख हसीना के पास। मीडिया इसे ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ यानी दो बेगमों की लड़ाई नाम देता था। बांग्लादेश को आजाद कराने वाले रहमान की पत्नी हैं खालिदा जिया खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ। वह किसी राजनीतिक परिवार से नहीं थीं और राजनीति से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था। 1960 में एक सैनिक जियाउर रहमान से उनकी शादी हुई। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई हुई। इस दौरान शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय जियाउर रहमान ने रेडियो पर एक घोषणा पढ़ी, जिसमें उन्होंने बताया कि वे ‘स्वतंत्र बांग्लादेश’ की ओर से लड़ रहे हैं। जंग खत्म होने के बाद जब बांग्लादेश बना तो रहमान वापस सेना में लौटे। उन्हें सेना में बड़ा पद मिला। रहमान राजनीतिक रूप से भी एक प्रभावशाली चेहरे के रूप में देखे जाने लगे। 1975 में शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या के बाद देश में लगातार तख्तापलट होता रहा। सेना में गुटबाजी इतनी बढ़ गई कि कुछ ही महीनों में कई बार सत्ता बदली। इस अस्थिर माहौल में जियाउर रहमान धीरे-धीरे सबसे ताकतवर सैन्य नेता बनकर उभरे और 1977 में वे देश के राष्ट्रपति बन गए। सत्ता संभालने के बाद उन्होंने में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया। यही पार्टी आज उनकी पत्नी खालिदा जिया और बेटा तारिक रहमान चला रहे हैं। पति की मौत के बाद राजनीति में एंट्री 30 मई 1981 को रहमान की हत्या कर दी गई। वे चटगांव में थे, जब सेना के कुछ बागी अधिकारियों ने विद्रोह कर दिया और गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। पति की मौत के बाद BNP पार्टी बिखरने लगी और पार्टी के नेताओं ने खालिदा को नेतृत्व संभालने के लिए मनाया। शुरू में वह तैयार नहीं थीं, लेकिन 1984 में उन्होंने पार्टी की कमान संभाल ली। 1991 में जब बांग्लादेश में पहली बार सही मायने में लोकतांत्रिक चुनाव हुए तो खालिदा जिया की BNP पार्टी ने जीत हासिल की और वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। 1996 में उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी, लेकिन 2001 में वह फिर से प्रधानमंत्री बनीं। --------------- यह खबर भी पढ़ें... बांग्लादेश में हिंदू परिवार के 5 घरों में आग लगाई:दरवाजे बाहर से बंद थे, लोग बाड़ काटकर घर से निकले; पांच संदिग्ध गिरफ्तार बांग्लादेश में हिंदू परिवारों के कम से कम पांच घरों में आग लगाने की घटना सामने आई है। यह घटना शनिवार, 27 दिसंबर को पिरोजपुर जिले के दम्रिताला गांव की बताई जा रही है। परिवार के सदस्यों के मुताबिक आग लगने के वक्त वे घर के अंदर फंसे हुए थे क्योंकि दरवाजे बाहर से बंद थे। पढ़ें पूरी खबर...