श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या ने देशों के बीच दीवारों की जगह पुल बनाने की बात कही है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा हमेशा घर, दफ्तर और देशों के बीच पुल बनाएं, दीवारें नहीं। दूसरी तरफ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर, श्रीलंका से कच्चाथीवू द्वीप वापस लेने और मछुआरों की समस्याओं को लेकर कार्रवाई करने की मांग की है। स्टालिन ने पत्र में कहा कि कच्चाथीवू द्वीप ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा था, लेकिन 1974 में बिना राज्य सरकार की अनुमति और प्रक्रिया के इसे श्रीलंका को सौंप दिया गया। इसके बाद से तमिलनाडु के मछुआरों को मछली पकड़ने में लगातार मुश्किलें और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है दिल्ली के हिंदू कॉलेज की स्टूडेंट रही हैं श्रीलंकाई पीएम पीएम हरिनी अमरसूर्या दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज की स्टूडेंट रही हैं। उन्होंने यहां 1991 से 1994 तक पढ़ाई की है। कॉलेज की प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव ने श्रीलंका की पीएम का स्वागत किया। उनके स्वागत के लिए फैकल्टी सदस्य, छात्र और पुराने छात्र सभी मौजूद थे। पीएम अमरसूर्या भारत के डिजिटल गवर्नेंस की तारीफ की प्रधानमंत्री अमरसूर्या ने भारत की डिजिटल गवर्नेंस में प्रगति की भी तारीफ की। उन्होंने इसे दूसरे देशों के लिए उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, भारत वास्तव में एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे डिजिटलाइजेशन सरकारों की अधिक जवाबदेही और पारदर्शी बना सकता है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका भारत के मॉडल पर ध्यान दे रहा है और देख रहा है कि कैसे इसी तरह की पहल वहां लागू की जा सकती है। उन्होंने दिल्ली में विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात भी की। 285 एकड़ में फैला है कच्चाथीवू भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच काफी बड़ा समुद्री क्षेत्र है। इस समुद्री क्षेत्र को पाक जलडमरूमध्य कहा जाता है। यहां कई सारे द्वीप हैं, जिसमें से एक द्वीप का नाम कच्चाथीवू है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक कच्चाथीवू 285 एकड़ में फैला एक द्वीप है। ये द्वीप बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ता है। 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया था। ये द्वीप 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बना था। जो रामेश्वरम से करीब 19 किलोमीटर और श्रीलंका के जाफना जिले से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर है। रॉबर्ट पाक 1755 से 1763 तक मद्रास प्रांत के अंग्रेज गवर्नर हुआ करते थे। इस समुद्री क्षेत्र का नाम रॉबर्ट पाक के नाम पर ही पाक स्ट्रेट रखा गया।