सवाल: मैं लखनऊ में रहती हूं और मेरी उम्र 40 साल है। मेरे पति बहुत शांत और रिजर्व्ड स्वभाव के हैं। घर में पार्टी, फेस्टिवल या कोई भी सोशल गेदरिंग उनके लिए बिल्कुल रोमांचक नहीं होती है। जब घर पर मेहमान आते हैं या परिवार के साथ दिवाली, करवा चौथ या कोई भी जश्न होता है, तो मैं और बाकी लोग मिलकर हंसी-खुशी, गप्पे मारते हैं और मस्ती करते हैं। लेकिन मेरे पति अक्सर कमरे में बंद अपनी किताबों में या काम में मशगूल रहते हैं। उन्हें ये भी परवाह नहीं होती कि घर में कोई मेहमान आया है। मैंने कई बार कोशिश की है कि उन्हें भी इन इवेंट्स में शामिल किया जाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उनकी इस आदत की वजह से मुझे बहुत चिढ़ और निराशा महसूस होती है। दिवाली जैसे त्योहार के समय मैं पहले से ही परेशान हो जाती हूं कि वो फिर से वही करने वाले हैं। मुझे क्या करना चाहिए। उन्हें कैसे समझाऊं कि घर के फेस्टिवल और जश्न में उनकी उपस्थिति हमारे लिए कितनी मायने रखती है? क्या उनके इस व्यवहार के पीछे कोई पुराना ट्रॉमा या बचपन का अनुभव हो सकता है, जिसकी वजह से वो सोशल इंटरैक्शन में इतने डिस्कनेक्टेड रहते हैं? एक्सपर्ट: जया सुकुल, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, नोएडा जवाब: सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि आप जो महसूस कर रही हैं, वो बिल्कुल जायज है। शादी के इतने सालों बाद भी जब पार्टनर घर के जश्न और मेहमानों से दूर रहता है, तो दिल में एक खालीपन सा आ जाता है। आपने बताया कि आप लखनऊ में रहती हैं, 40 साल की हैं, और आपके पति का शांत स्वभाव आपको चिढ़ और निराशा देता है। ये स्थिति बहुत कॉमन है, खासकर जब एक पार्टनर एक्सट्रोवर्ट होता है और दूसरा इंट्रोवर्ट। इसे सोच-समझकर और छोटे-छोटे बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। आपकी फीलिंग्स बिल्कुल वैलिड हैं सबसे पहले खुद को दोष मत दीजिए। शादी में हम उम्मीद करते हैं कि पार्टनर हर खुशी में साथ दे, खासकर घर के त्योहारों और गेदरिंग्स में भी साथ हो। जब वह नहीं होते, तो चिढ़ होना स्वाभाविक है। हालांकि, आपने जैसा सवाल में लिखा है, उससे लगता है कि आपके हसबैंड की अनुपस्थिति उनके व्यक्तित्व का हिस्सा हो सकता है। इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट का फर्क समझिए आमतौर पर दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। पहले एक्स्ट्रोवर्ट और दूसरे इंट्रोवर्ट। एक्स्ट्रोवर्ट लोगों को दुनिया में ढेर सारे लोगों से मिल-जुलकर खुशी मिलती है। जबकि इंट्रोवर्ट लोगों को अकेले रहने पर ज्यादा सुकून और शांति महसूस होती है। खुशी मिलती है। आपके पति इंट्रोवर्ट हैं। ये कोई बीमारी नहीं, बल्कि नेचर है। दुनिया में आधे से ज्यादा लोग इंट्रोवर्ट होते हैं, और ऐसे लोग भावनाएं गहराई से महसूस करते हैं, लेकिन जाहिर नहीं कर पाते हैं। आपके पति का किताबों में डूबना या काम में लगे रहना उनका जिंदगी जीने का तरीका है। खुद को रिलैक्स करने का तरीका है, लेकिन अगर ये फर्क रिश्ते में दूरी ला रहा है, तो इसे बैलेंस करना जरूरी है। व्यक्तित्व में अंतर को स्वीकारना क्यों जरूरी? आपके पति का रिजर्व्ड रहना उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा है। ये कोई समस्या नहीं, बल्कि उनका स्टाइल है जिंदगी जीने का। लेकिन जब ये आपके त्योहारों की खुशी पर असर डालता है, तो बात बनती है। मैंने देखा है कि ऐसे कपल्स में एक्सट्रोवर्ट पार्टनर को लगता है कि इंट्रोवर्ट को परिवार की परवाह नहीं। लेकिन सच ये है कि इंट्रोवर्ट लोग प्यार चुपचाप दिखाते हैं, जैसे घर के काम में मदद करना या छोटी-छोटी केयर। अगर आप ये अंतर न समझें, तो चिढ़ बढ़ती जाती है। समाधान है कि उनकी पॉजिटिव साइड को देखें। जैसे, वो आपको जश्न मनाने से नहीं रोकते, न शिकायत करते हैं। ये उनकी तरफ से फ्रीडम है, जो बहुत कीमती है। अगर वो कंट्रोलिंग होते, तो स्थिति और खराब होती। बचपन या ट्रॉमा का रोल हो सकता है? आपने सही पूछा कि क्या उनके व्यवहार के पीछे कोई पुराना ट्रॉमा या बचपन का अनुभव है। हां, ये मुमकिन है। कई बार बचपन में अगर परिवार बहुत शांत होता है, या सोशल गेदरिंग्स का कल्चर नहीं होता, तो बड़े होकर इंसान वैसा ही बन जाता है। या अगर अतीत में भीड़ में शर्मिंदगी झेली हो, जैसे स्कूल में मजाक उड़ाया गया हो, तो सोशल इंटरैक्शन से डर लगने लगता है। ये सोशल एंग्जाइटी का रूप ले सकता है। लेकिन हर बार ट्रॉमा नहीं होता; कभी-कभी ये सिर्फ जन्मजात पर्सनैलिटी होती है। अगर उनका ये व्यवहार सिर्फ त्योहारों तक नहीं, बल्कि हर रिश्ते में दिखता है। जैसे दोस्त न बनाना या बाहर न जाना तो ये ट्रॉमा का संकेत हो सकता है। ऐसे में प्रोफेशनल मदद लें, ताकि वजह पता चले। रिश्ते में संतुलन कैसे बनाएं? रिश्तों की खूबसूरती इसी में है कि दो अलग दुनिया मिलकर एक बनें। आप एक्सट्रोवर्ट हैं, तो जश्न से खुशी मिलती है। वो इंट्रोवर्ट हैं, तो शांति से बात करें। बीच का रास्ता निकालें। जैसे, त्योहार में उन्हें पूजा में दीपक जलाने का रोल दें, या मेहमानों को सिर्फ नमस्ते कहने को कहें। शुरू में 20-30 मिनट साथ रहने को बोलें, फिर वो कमरे में जा सकते हैं। इससे आपको कनेक्शन मिलेगा और उन्हें दबाव नहीं। कई रिसर्च से पता चलता है कि ऐसे कपल्स जो बैलेंस बनाते हैं, उनके रिश्ते ज्यादा मजबूत होते हैं। फोर्स न करें, वर्ना दूरी बढ़ेगी। बातचीत का सही तरीका अपनाएं आपने कई बार कोशिश की, लेकिन शायद तरीका गुस्से वाला रहा होगा। अब शांत मूड में बात करें। “तुम कभी हमारे साथ नहीं बैठते” कहने से बचें, क्योंकि ये आरोप लगता है। इसके बजाय कहें, “अगर तुम थोड़ी देर हमारे साथ बैठो, तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। तुम्हारी मौजूदगी से घर और खुश लगता है।” ये प्यार से भावनाएं शेयर करने का तरीका है। उन्हें बताएं कि उनकी उपस्थिति आपके लिए इमोशनल सपोर्ट है। अगर वो समझें तो धीरे-धीरे बदलाव आएगा। अब क्या करें? सबसे पहले, अपनी भावनाओं को मान दें। फिर उनसे खुलकर लेकिन प्यार से बात करें। छोटे-छोटे स्टेप्स से उन्हें शामिल करें। अगर लगे कि ट्रॉमा है या व्यवहार बहुत गहरा है, तो कपल काउंसलिंग लें। काउंसलर उन्हें सोशल माहौल में सहज होने के टिप्स दे सकता है। याद रखें, बदलाव रातोंरात नहीं आता। धैर्य रखें। खुद को भी खुश रखें – दोस्तों, बच्चों या रिश्तेदारों के साथ जश्न मनाएं। उनकी पॉजिटिव साइड को नजरअंदाज न करें, जैसे घर की जिम्मेदारियां निभाना। ब्रेकअप या अलगाव की बात नहीं ये स्थिति इतनी गंभीर नहीं कि रिश्ता टूटे। आपके पति का स्वभाव कोई गलती नहीं, बल्कि फर्क है। अगर दोनों थोड़ी एडजस्टमेंट करें, तो ये फर्क रिश्ते की ताकत बन सकता है। आप उन्हें स्पेस दें, वो आपको कनेक्शन। ऐसे कई कपल्स हैं जो इंट्रोवर्ट-एक्सट्रोवर्ट होकर भी खुश रहते हैं। आखिर में याद रखिए आप एक हेल्दी रिश्ते की हकदार हैं, जहां प्यार, सम्मान और बैलेंस हो। आपके पति की शांति आपकी खुशी पर भारी न पड़े। अपनी मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता दें। अगर कोशिश से बात बने, तो अच्छा। वर्ना, प्रोफेशनल मदद लें। आप अकेली नहीं हैं; लाखों महिलाएं ऐसी स्थिति से गुजरती हैं और मजबूत निकलती हैं। हिम्मत रखिए, सब ठीक होगा। आपका फैसला आपके लिए सही हो, और रिश्ता खुशियों से भरा बने। ……………… ये खबर भी पढ़िए रिलेशनशिप एडवाइज- पार्टनर शादी की बात टाल देता है: कहीं ये कमिटमेंट फोबिया तो नहीं, मुझे तो शादी चाहिए, क्या मैं ब्रेकअप कर लूं जब रिश्ता लंबा चलता है लेकिन शादी की बात पर रुक जाता है, तो कई परेशानियां सामने आती हैं। ये वो मुश्किलें हैं जो आपके मन को परेशान करती हैं और रिश्ते पर असर डालती हैं। पूरी खबर पढ़िए...