इकोनॉमिक्स के नोबेल का ऐलान आज:लेबर मार्केट में भेदभाव या राजनीतिक अस्थिरता के असर पर रिसर्च को मिल सकता है पुरस्कार

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स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आज अर्थशास्त्र के नोबेल प्राइज का ऐलान होगा। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज दोपहर 3:15 बजे इसका ऐलान करेगी। यह पुरस्कार उन अर्थशास्त्रियों को दिया जाता है, जिनके रिसर्च ने अर्थव्यवस्था को समझने और उसकी समस्याओं को हल करने में बड़ा योगदान दिया हो। विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। अगर एक से ज्यादा अर्थशास्त्री जीतते हैं, तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाएगी। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे। मीडिया के मुताबिक इकोनॉमिक्स के नोबेल के दावेदार... कैसे होगा ऐलान? अर्थशास्त्र का नोबेल दो भारतीयों को मिल चुका है अमर्त्य सेन (1998)- गरीबी को समझने और मापने का नया तरीका बताया। अकाल क्यों होते हैं और लोगों की भलाई कैसे बढ़े, इस पर रिसर्च की। उदाहरण: सिर्फ पैसे से नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य से भी गरीबी मापी जानी चाहिए। अभिजीत बनर्जी (2019)- गरीबी हटाने के लिए छोटे-छोटे प्रयोग किए, जैसे स्कूलों में बच्चों को बेहतर पढ़ाई कैसे मिले। उदाहरण: गरीब बच्चों को मुफ्त किताबें देने से पढ़ाई में कितना फायदा होता है, इसे टेस्ट किया। अभिजीत बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ शेयर किया था। 1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा। नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं। 2024 का नोबेल तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला था 2024 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों डेरॉन ऐसमोग्लू (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी - MIT), साइमन जॉनसन (MIT) और जेम्स ए. रॉबिन्सन (शिकागो यूनिवर्सिटी) को संयुक्त रूप से मिला था। इन्हें यह पुरस्कार किसी देश की संस्थाओं (सिस्टम) और उनके अमीरी-गरीबी पर असर के रिसर्च के लिए मिला था। इन्होंने बताया था कि अच्छी संस्थाएं (जो सबको बराबर मौका दें) देश को अमीर बनाती हैं, जबकि खराब संस्थाएं (जो सिर्फ कुछ अमीरों को फायदा दें) देश को गरीब रखती हैं। जैसे- निष्पक्ष चुनाव, मजबूत न्याय व्यवस्था, संपत्ति का सुरक्षित मालिकाना हक और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार। ये तय करती हैं कि देश अमीर बनेगा या गरीब रहेगा।