चीन बोला- अमेरिका लड़ना चाहता तो आखिर तक लड़ेंगे:बात करना है, तो धमकियां देना बंद करे; ट्रम्प ने 100% टैरिफ लगाया है

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चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 100% टैरिफ लगाने के फैसले का विरोध किया है। चीन वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने मंगलवार को मीडिया से कहा कि अगर अमेरिका लड़ना चाहता है, तो हम आखिर तक लड़ेंगे; अगर बातचीत करना चाहता है, तो धमकियां देना बंद करे। दरअसल चीन ने कई दुर्लभ खनिजों पर सख्त नियम लगाए हैं। इन नियमों के तहत कोई भी कंपनी चीन से रेयर खनिज खरीदकर बाहर बेचना चाहती, तो पहले चीनी सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा। ट्रम्प ने इस फैसले को दुश्मनी वाला बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर चीन पीछे नहीं हटा, तो अमेरिका तीन अंकों (100% से ज्यादा) का नया टैरिफ लगाएगा। इस पर चीन का कहना है कि अमेरिका ने पहले उसकी कंपनियों पर ढेर सारी पाबंदियां लगाईं, जिसके जवाब में उसे ये कदम उठाना पड़ा। ​​​​​चीन बोला- अमेरिका ने बातचीत का माहौल खराब किया चीनी सरकार ने कहा कि अमेरिका ने चीनी जहाजों पर टैरिफ लगाने की योजना बनाकर बातचीत का माहौल खराब किया। ये मई जैसी स्थिति है, जब ट्रम्प ने चीनी कंपनी हुवावे पर प्रतिबंध लगाए, चिप्स सॉफ्टवेयर रोके और चीनी छात्रों के वीजा पर धमकी दी थी। हालांकि चीन ने यह भी कहा कि पूरी तरह बैन नहीं लगाया गया है, बल्कि अब रेयर खनिज के लिए लाइसेंस चाहिए। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन अमेरिका जैसे नियम अपना रहा है। जिनपिंग-ट्रम्प की मुलाकात रद्द हो सकती है मीडिया रिपोर्ट्स में आशंका जताई जा रही है कि अगर ये तनाव कम नहीं हुआ तो इस महीने के आखिर में दक्षिण कोरिया में होने वाली जिनपिंग और ट्रम्प की मुलाकात रद्द हो सकती है। हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि मुलाकात होगी। दूसरी दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तनातनी से ग्लोबल मार्केट में अनिश्चिता का माहौल बन गया है। व्यापारियों को डर है कि अगर ये विवाद आगे बढ़ा तो ट्रेड वॉर के जैसे हालात बन सकते हैं। एक्सपर्ट बोले- अमेरिका ने पहले हमला किया, अब मासूम बन रहा ट्रम्प की आक्रमक विदेश नीति को लेकर बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिन कनरोंग ने कहा- अमेरिका ने पहले चीन पर हमला किया और अब खुद को निर्दोष दिखाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, शंघाई की फुडान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वू शिनबो ने कहा- ये कदम अमेरिका की गलत मंशा को उजागर करता है। ट्रम्प की टीम को अपने फैसलों के नतीजों का अंदाजा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने चिप्स और तकनीक पर रोक लगाई, अब चीन इसका जवाब दे रहा है।" शी और ट्रम्प की प्रस्तावित मुलाकात पर वू ने कहा, "ट्रम्प को रिश्ते सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। चीन अमेरिका का दबाव बर्दाश्त नहीं करेगा। रेनमिन यूनिवर्सिटी के एक अन्य प्रोफेसर वांग यिवेई ने कहा- चीन ट्रम्प की रणनीति को अच्छी तरह समझता है। इस बार अमेरिका ज्यादा परेशान है। हमारा संदेश साफ है कि अमेरिका को चीन के साथ कोऑपरेट करना चाहिए।