सवाल- मैं पिछले डेढ़ साल से रिलेशनशिप में हूं। मेरा पार्टनर जब भी मुझसे नाराज होता है, बात करने की बजाय चुप हो जाता है। कई-कई दिन तक मैसेज या कॉल का कोई जवाब नहीं देता है। मुझे समझ नहीं आता कि उसे स्पेस चाहिए या वो मुझे पनिश कर रहा है। वह महीनों बाद बताता है कि वह किस वजह से नाराज था। मैं उसे परेशान नहीं करना चाहती, लेकिन ये साइलेंट ट्रीटमेंट मुझे बहुत अनसेफ फील कराता है। क्या ये किसी का नॉर्मल बिहेवियर हो सकता है? मैं उससे कैसे बात करूं कि वो खुलकर कम्युनिकेट करे? मुझे ये भी डर है कि क्या ये रेड फ्लैग तो नहीं है? मुझे क्या करना चाहिए? जवाब- सबसे पहले तो आपको समझदारी की दाद देनी चाहिए। आप जो महसूस कर रही हैं, उसे इतना स्पष्ट लिख पाई हैं। ज्यादातर लड़कियां इसी कन्फ्यूजन में चुपचाप सालों गुजार देती हैं। आपने पूछा, यानी आप सेल्फ अवेयर हैं। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। मन में उठते हैं कई सवाल ऐसी सिचुएशन होने पर आपके मन में जो सवाल घूमते हैं कि- ये सारे सवाल बिल्कुल नॉर्मल हैं। लेकिन सच ये है कि आपका पार्टनर जो कर रहा है, वो सिर्फ पर्सनल स्पेस नहीं है। साइकोलॉजी में इसे साइलेंट ट्रीटमेंट कहते हैं और ये कई बार इमोशनल मैनिपुलेशन का तरीका होता है। साइलेंट ट्रीटमेंट क्या होता है? जब कोई इंसान अपनी नाराजगी, गुस्सा या दुख को सीधे बोलने की बजाय जान-बूझकर बातचीत बंद कर दे, कॉल न उठाए, मैसेज का जवाब न दे, आपको पूरी तरह अनदेखा करे तो ये साइलेंट ट्रीटमेंट है। ये सामने वाले इंसान के मन में सवाल पैदा होते हैं- धीरे-धीरे आप अपने आत्म-सम्मान को सामने वाले शख्स के मूड से नीचे रखने लगते हैं। ये किसी भी शख्स के अस्तित्व के लिए सबसे खतरनाक बात है। हेल्दी स्पेस और साइलेंट ट्रीटमेंट में फर्क कई लोग कुछ खास सिचुएशन में कहते हैं मुझे स्पेस चाहिए, ये अलग बात है। उन्हें खुद के मनोभावों और विचारों को प्रोसेस करने के लिए पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है। ऐसे हेल्दी स्पेस और साइलेंट ट्रीटमेंट में जमीन-आसमान का फर्क है। ग्राफिक से समझिए- आपके केस में जो हो रहा है, ये साइलेंट ट्रीटमेंट की कैटेगरी में आता है। ये नॉर्मल कम्युनिकेशन स्टाइल बिल्कुल नहीं है। बॉयफ्रेंड के बचपन में छिपी हो सकती है वजह ऐसा भी हो सकता है कि आपके पार्टनर के बचपन से जुड़ा कोई ट्रॉमा या घटना हो, जिसके कारण उसके बिहेवियर में इस तरह का बदलाव दिखता है। कई लोग ऐसे घरों में बड़े होते हैं जहां- बड़े होकर ऐसे लोग किसी भी तरह के टकराव से डरने लगते हैं। बात करने की बजाय चुप हो जाना उनके लिए सुरक्षा कवच बन जाता है। लेकिन याद रखिए, वजह चाहे बचपन की हो, ट्रॉमा हो या आदत, इसके लिए आप जिम्मेदार नहीं है। इसलिए आपको बेवजह तकलीफ सहने की जरूरत नहीं है। उससे बात कैसे करें? सबसे पहले ऐसा वक्त खोजें, जब आप दोनों ठंडे दिमाग में हों। बातों में आरोप लगाने की बजाय अपनी फीलिंग्स शेयर करें। उसे बताइए कि जब वो कई दिन चुप रहता है तो आप बहुत अनसेफ फील करती हैं और आपको डर लगता है। स्पष्ट तौर पर कहिए कि मैं समझती हूं कि तुम्हें सोचने का वक्त चाहिए, लेकिन जब बिना बताए गायब हो जाते हो तो मुझे लगता है मैंने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी है। मेरे लिए क्लोजर बहुत जरूरी है। अगर स्पेस चाहिए तो सिर्फ इतना बता दो कि मुझे 2 दिन चाहिए, मैं इंतजार कर लूंगी। अपनी बाउंड्री स्पष्ट करें आप स्पष्ट बताएं कि साइलेंट ट्रीटमेंट स्वीकार नहीं कर सकती हैं। अगर स्पेस चाहिए तो बताएं और ये भी बताएं कि कब तक हेल्दी स्पेस चाहते हैं। इस तरह बात कर सकती हैं- अगर वो बदलना चाहे तो क्या करें? अगर वो सच में आपको वैल्यू करता है तो वो आपकी बात सुनेगा। फिर आप दोनों मिलकर कपल्स काउंसलिंग ले सकते हैं। एक अच्छा थेरेपिस्ट उसे सिखा सकता है कि गुस्से या दुख को शब्दों में कैसे एक्सप्रेस किया जाता है। ये कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बस सीखने की जरूरत है। कब इसे रेड फ्लैग मानें? अगर बात करने के बाद भी, सामने वाला- आपको ही हर बार माफी मांगनी पड़े तो ये रेड फ्लैग है। खुद का ख्याल कैसे रखें? इस बीच आप खुद को अकेला न पड़ने दें। इसके लिए आप अपने दोस्तों की मदद ले सकती हैं। आप अपनी हॉबीज ट्राई कर सकती हैं। ऐसा कोई भी काम कर सकती हैं, जिसमें आपको सुकून मिलता है। सबसे जरूरी सवाल अगर जवाब नहीं है, तो याद रखिए, दूर जाना हार नहीं है, ये खुद की सुरक्षा है। आखिरी बात प्यार का मतलब चुप होकर पार्टनर को तकलीफ देना नहीं होता है। प्यार का मतलब है, बात करना, सुनना, समझना, मुश्किल वक्त में साथ खड़े होना। जो इंसान आपको बार-बार अनजाने में भी अनसेफ फील कराए, तो वो आपके लिए सही पार्टनर नहीं बन सकता है। आप उस प्यार की हकदार हैं, जो आपको सुकून दे। उस सन्नाटे की नहीं, जो आपको हर बार खुद पर शक करने पर मजबूर कर दे। ……………… ये खबर भी पढ़िए रिलेशनशिप एडवाइज- मुझे सच्चा प्यार नहीं मिला: न कोई शाहरुख खान आया, न पेट में तितलियां उड़ीं, क्या मैं कुछ ज्यादा ही फिल्मी हूं आप कह रही हो कि प्यार में कभी आपके पेट में तितलियां नहीं उड़तीं, ठंडी हवा नहीं चलती, गाना नहीं बजता। क्या आपको पता है कि आप ये सब नहीं महसूस कर रही हैं और ये नॉर्मल है। चलिए आपकी समस्या को एक-एक करके समझते हैं। पूरी खबर पढ़िए...