फिजिकल हेल्थ- ठंड में ज्यादा नींद क्यों आती है:डॉक्टर से समझें स्लीप हॉर्मोन मेलाटोनिन का साइंस, साथ ही विंटर स्लीप गाइड

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नींद हमारे शरीर की प्राथमिक जरूरत है, लेकिन मौसम के बदलने के साथ इसकी मात्रा और गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। सर्दियों में दिन छोटे और धूप कम मिलने से शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी धीमी हो जाती है, जिससे मेलाटोनिन हॉर्मोन बढ़ता है और नींद ज्यादा आने लगती है। ठंड का मौसम शरीर को ऊर्जा बचाने और आराम की ओर ले जाता है। यही वजह है कि इस दौरान लोग देर तक सोना पसंद करते हैं। यह कोई आलस नहीं बल्कि शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो बदलते मौसम के हिसाब से खुद को एडजस्ट करती है ताकि शरीर और दिमाग संतुलित रहें। इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज सर्दियों में नींद की जरूरत पर बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- सवाल- क्या मौसम के अनुसार नींद की जरूरत में बदलाव होता है? जवाब- हां, मौसम के अनुसार नींद की जरूरत और उसकी गुणवत्ता बदलती है। गर्मियों में दिन लंबे और उजाला ज्यादा होने से शरीर ज्यादा एक्टिव रहता है और नींद का समय कम हो जाता है। मौसम के हिसाब से शरीर खुद को एडजस्ट करता है ताकि ऊर्जा संतुलित बनी रहे। इसलिए सर्दियों में थोड़ी ज्यादा नींद लेना शरीर की स्वाभाविक जरूरत है। सवाल- सर्दियों में ज्यादा नींद क्यों आती है? जवाब- सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होती है और दिन छोटे होते हैं। इससे शरीर में मेलाटोनिन हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, जो नींद लाने का काम करता है। ठंड का मौसम भी शरीर को सुस्त और आराम की ओर ले जाता है। जब शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिलती, तो सेरोटोनिन नामक हॉर्मोन का स्तर गिरता है, जिससे मूड लो और नींद ज्यादा महसूस होती है। इसलिए सर्दियों में देर तक बिस्तर में रहना कोई आलस नहीं बल्कि शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया है। सवाल- सीजनल बायोलॉजिकल रिदम क्या है और यह नींद को कैसे प्रभावित करता है? जवाब- सीजनल बायोलॉजिकल रिदम हमारे शरीर की वो आंतरिक घड़ी है जो मौसम के हिसाब से बदलती रहती है। जैसे दिन और रात की लंबाई बदलती है, वैसे ही हमारे शरीर की नींद, भूख और ऊर्जा के पैटर्न भी बदलते हैं। सर्दियों में यह रिदम धीमी हो जाती है क्योंकि प्रकाश कम मिलता है, जिससे मेलाटोनिन बढ़ता है और नींद लंबी होती है। गर्मियों में यह रिदम तेज हो जाती है, क्योंकि सूरज की रोशनी शरीर को एक्टिव रखती है। यह रिदम हमारे स्लीप साइकिल का आधार है। सवाल- मेलाटोनिन क्या है और यह सर्दियों में क्यों बढ़ता है? जवाब- मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हॉर्मोन है जो हमारे मस्तिष्क के पीनियल ग्रंथि से निकलता है। यह रात में अंधेरे के दौरान बनता है और शरीर को संकेत देता है कि अब सोने का समय है। सर्दियों में दिन छोटे और अंधेरा ज्यादा होने से मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ जाता है। इसके कारण नींद जल्दी आने लगती है और शरीर को अधिक आराम की जरूरत महसूस होती है। यही वजह है कि सर्दियों में लोग ज्यादा देर तक सोते हैं या उनींदापन महसूस करते हैं। सवाल- दिन छोटे और रातें लंबी होने से नींद पर क्या असर पड़ता है? जवाब- सर्दियों में सूरज देर से निकलता और जल्दी डूब जाता है, जिससे अंधेरे का समय बढ़ जाता है। यह बदलाव हमारे मस्तिष्क को संकेत देता है कि आराम का समय लंबा है। इससे नींद हॉर्मोन मेलाटोनिन का स्राव ज्यादा समय तक होता है और नींद गहरी या लंबी महसूस होती है। वहीं कम रोशनी मिलने से शरीर की एक्टिवनेस घट जाती है, जिससे थकान या सुस्ती भी बढ़ती है। यह पूरी तरह से एक जैविक प्रतिक्रिया है, जो मौसम के हिसाब से शरीर को एडजस्ट करती है। सवाल- सर्दियों में ज्यादा नींद शरीर की जरूरत है या आलस है? जवाब- सर्दियों में ज्यादा नींद लेना आलस नहीं बल्कि शरीर की स्वाभाविक जरूरत है। ठंडे मौसम में मेटाबॉलिज्म यानी शरीर की ऊर्जा खपत कम हो जाती है और शरीर खुद को बचाने के लिए स्लो मोड में चला जाता है। साथ ही कम रोशनी और ज्यादा मेलाटोनिन नींद की अवधि बढ़ा देते हैं। सवाल- सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) क्या है और इसका नींद से क्या रिश्ता है? जवाब- सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) एक प्रकार का डिप्रेशन है जो सर्दियों में रोशनी की कमी के कारण होता है। जब शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिलती, तो सेरोटोनिन हॉर्मोन का स्तर घटता है और मेलाटोनिन बढ़ जाता है। इससे मूड लो, नींद अधिक या असामान्य हो जाती है। कई बार लोग दिन में भी उनींदापन महसूस करते हैं। हल्की धूप में समय बिताना, एक्सरसाइज और लाइट थेरेपी इससे राहत दिला सकती है। सवाल- कितने घंटे की नींद जरूरी है, सर्दियों में कितने घंटे नींद सही है? जवाब- सामान्यतः वयस्कों को रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद की जरूरत होती है। सर्दियों में मेलाटोनिन बढ़ने और दिन छोटे होने के कारण शरीर को थोड़ा अधिक आराम की जरूरत महसूस होती है। इसलिए 8 से 9 घंटे की नींद इस मौसम में सामान्य और फायदेमंद मानी जाती है। हालांकि, बहुत ज्यादा नींद यानी 10 घंटे से अधिक नींद भी थकान और सुस्ती बढ़ा सकती है। इसलिए सर्दियों में नींद का समय बढ़ाएं, लेकिन रूटीन नियमित रखें। सवाल- सर्दियों में स्लीप हाइजीन कैसे बनाए रखें? जवाब- सर्दियों में अच्छी नींद के लिए नियमित सोने-जागने का समय तय करें। सोने से पहले कैफीन, मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये ब्लू लाइट मेलाटोनिन को दबाती है। कमरे का तापमान बहुत गर्म न रखें, क्योंकि हल्का ठंडा माहौल नींद के लिए बेहतर होता है। दिन में थोड़ी देर धूप में जरूर बैठें ताकि शरीर की सर्केडियन रिदम संतुलित रहे। हल्का खाना और शाम की वॉक भी नींद की गुणवत्ता बढ़ाते हैं। सवाल- कैफीन, स्क्रीन और रूम टेम्परेचर का नींद पर क्या असर होता है? जवाब- कैफीन दिमाग को उत्तेजित करता है और नींद हॉर्मोन मेलाटोनिन के असर को कम कर देता है, जिससे नींद देर से आती है। मोबाइल या लैपटॉप की ब्लू लाइट भी मेलाटोनिन को दबा देती है, इसलिए सोने से एक घंटा पहले स्क्रीन से दूरी जरूरी है। वहीं कमरे का बहुत गर्म या बहुत ठंडा तापमान नींद बिगाड़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार 18-20°C का तापमान नींद के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है, क्योंकि इससे शरीर स्वाभाविक रूप से रिलैक्स होता है। सवाल- सर्दियों में बेहतर नींद के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव जरूरी हैं? जवाब- सर्दियों में दिन में थोड़ी देर धूप लेना, हल्का व्यायाम करना और रात को भारी भोजन से बचना जरूरी है। ......................... फिजिकल हेल्थ से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए फिजिकल हेल्थ- ठंड के मौसम में कम होता विटामिन D: डाइट में करें बदलाव, डॉक्टर की सलाह से लें सप्लीमेंट, बरतें 6 जरूरी सावधानियां दुनिया में करीब 50% लोग विटामिन D की कमी से जूझ रहे हैं। भारत में यह समस्या और भी गंभीर है। भारत में लगभग 76% से 80% लोग विटामिन D की कमी का शिकार हैं। यानी हर चार में से तीन लोगों के शरीर में यह जरूरी विटामिन कम है। पूरी खबर पढ़िए...