रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा अमेरिका में भी चर्चा में बना हुआ है। एक अमेरिकी सांसद ने पीएम मोदी और पुतिन की सेल्फी वाली तस्वीर दिखाकर राष्ट्रपति ट्रम्प की विदेश नीति की आलोचना की। अमेरिकी प्रतिनिधि सिडनी कैमलेगर-डव ने मोदी-पुतिन की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पोस्टर हजार शब्दों के बराबर है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत नीति की कड़ी आलोचना की। डव ने कहा, “ट्रम्प की भारत को लेकर नीतियां ऐसी हैं जैसे हम खुद को ही नुकसान पहुंचा रहे हों। दबाव डालकर साझेदारी करना महंगा साबित होता है। और यह पोस्टर इसका सबसे बड़ा सबूत है। अमेरिका की दबाव वाली नीति भारत को रूस के करीब धकेल रही है।" दूसरी ओर ट्रम्प की पार्टी के एक सांसद बिल हुइजेंगा ने क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने भारत के इस दावे का खुलकर समर्थन किया है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसका संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) पहलगाम हमले के पीछे थे। सांसद ने ट्रम्प के नोबेल प्राइज की डिमांड पर तंज कसा सांसद डव ने ट्रम्प के उस दावे पर भी तंज कसा जिसमें ट्रम्प खुद को नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार बताते रहे हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने आठ युद्ध रुकवाए हैं, जिनमें भारत-पाकिस्तान भी शामिल है। डव ने कहा, “जब कोई देश अपने सबसे अहम रणनीतिक साझेदारों को ही विरोधियों की ओर धकेल दे, तो वह नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार नहीं कहलाता।” सांसद बोलीं- नुकसान को जल्द ठीक करना जरूरी डव ने आगे कहा कि अमेरिका को अब बेहद तेजी से कदम उठाने होंगे, ताकि ट्रम्प प्रशासन की नीतियों से अमेरिका-भारत साझेदारी को जो नुकसान हुआ है, उसे जल्द से जल्द ठीक किया जा सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच वह भरोसा और सहयोग फिर से बहाल करना जरूरी है, जो अमेरिका की समृद्धि, सुरक्षा और वैश्विक नेतृत्व के लिए अनिवार्य है। ये टिप्पणियां हाउस फॉरेन अफेयर्स सबकमेटी ऑन साउथ एंड सेंट्रल एशिया की उस सुनवाई के दौरान आईं, जिसका विषय था- ‘अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी: एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा’। सांसद बोले- अमेरिका-भारत साझेदारी बेहद अहम अमेरिकी सांसद बिल हुइजेंगा ने कहा कि अमेरिका का भारत के साथ साझेदारी बेहद अहम है। उन्होंने याद दिलाया कि ट्रम्प प्रशासन ने इसी साल जुलाई में TRF को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। उन्होंने हाउस फॉरेन अफेयर्स की साउथ एंड सेंट्रल एशिया सबकमेटी की सुनवाई के दौरान कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और उसका प्रॉक्सी TRF पहलगाम के आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार थे, और ट्रम्प प्रशासन ने जुलाई 2025 में इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया। अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित किया था पहलगाम हमला 22 अप्रैल को हुआ था। यह हमला 2008 के मुंबई 26/11 हमलों के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था। TRF ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में बयान वापस ले लिया। पाकिस्तान ने इस हमले से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया और दावा किया कि लश्कर-ए-तैयबा अब सक्रिय ही नहीं है। भारत ने जवाब में मई में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के अंदर घुसकर 9 आतंकी कैंप तबाह किए गए और 11 सैन्य ठिकाने निशाने पर लिए गए। जुलाई में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने औपचारिक रूप से TRF को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और स्पेशली डिजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) घोषित किया। भारत ने इसे समय अहम फैसला’ बताया था, जिसने दोनों देशों के बीच आतंकवाद-रोधी सहयोग को मजबूत किया। ----------------- ये खबर भी पढ़ें... वेनेजुएला पर अमेरिका का मिलिट्री एक्शन: बीच समंदर में जहाज पर हथियारबंद कमांडो उतरे, पलभर में कब्जा किया, वेनेजुएला बोला- ये समुद्री डकैती अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास बीच समंदर में एक बहुत बड़े क्रूड ऑयल टैंकर को जब्त कर लिया। बुधवार को अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने सोशल मीडिया पर इस ऑपरेशन का 45 सेकेंड का वीडियो जारी किया। पूरी खबर पढ़ें...