मदनी ने कहा कि हमें किसी के “वंदे मातरम्” गाने या पढ़ने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन हम यह बात फिर से स्पष्ट करना चाहते हैं कि मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इस इबादत में किसी दूसरे को शरीक नहीं कर सकता।