आंचल समाज की रवायतों के आगे, मां-बाप की बंदिशों से डरकर अपने प्यार की क़ुर्बानी देने को तैयार नहीं थी। इसलिए उसने भरे समाज में उस वक़्त शादी की रस्मों को अंजाम दिया, जब उस लड़के की अर्थी उठ रही थी।