पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:भगवान से पूजा-पाठ में मांगें कि जीवन में कोई गुरु भेज दें

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गुरु-शिष्य के संबंधों पर शास्त्रों में खूब वर्णन आया है। गुरु के चरण रज की मांग शिष्य करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे समय बदला तो शिष्यों ने गुरु के चरण को ही रज जैसा बना दिया। इस रिश्ते को धूल में मिलाया जा रहा है। जबकि सृष्टि की ताकत गुरु मंत्र होती है और इसी मंत्र की खूबी से गुरु साइकोथैरेपिस्ट बन जाते हैं। आज 33% युवा अकेलेपन के शिकार हैं। गुरु उनका बहुत अच्छा साथी बन सकता है। पर नई पीढ़ी गुरु बनाने के मामले में बहुत लापरवाह है। चूंकि मनुष्य को गुरु बनाना हो तो बहुत अधिक स्क्रीनिंग करनी पड़ती है। इसलिए और कोई गुरु ना मिले तो हनुमान जी को गुरु बना लें और हनुमान चालीसा को गुरु मंत्र जैसा जीवन में उतारें। क्योंकि यह तो तय है कि गुरु के जीवन में होने से एक अहसास बदलता है। गुरु मंत्र- मनभेद और मतभेद दोनों मिटाता है। और यह दोनों हमारे तनाव का बहुत बड़ा कारण हैं। तो भगवान से जब भी पूजा-पाठ में कुछ मांगें तो एक बात जरूर मांगिए कि जीवन में कोई गुरु भेज दें। और यदि हमारे गुरु हैं तो उनसे हमको वो मिलता रहे, जिससे ईश्वर की अनुभूति हो।