MP High Court ने एडहॉक सेवा को भी पेंशन के दायरे में किया, एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रो. अरुण प्रकाश बुखारिया की याचिका स्वीकार करते हुए तदर्थ सेवा में दिखाए गए दो–तीन दिन के कृत्रिम ब्रेक (ऐसा समय जिसमें कर्मचारी लगातार काम पर नहीं था) को सेवा व्यवधान मानने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि 1977 से 2009 तक उनकी पूरी सेवा अवधि को निरंतर मानकर पेंशन दी जाए।