SIR के 9 दिन-चुनाव आयोग ने 42 करोड़ फॉर्म बांटे:MP-छत्तीसगढ़ में काम धीमा, गुजरात में तेज; मतदाता रिकॉर्ड खोजने में दिक्कत आ रही

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चुनाव आयोग ने गुरुवार को बताया कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक 42 करोड़ (82.71%) फॉर्म मतदाताओं को बांटे जा चुके हैं। इन सभी राज्यों में 50.99 करोड़ मतदाता हैं। तमाम विरोध के बावजूद बंगाल में 93% फॉर्म बांटे जा चुके हैं जो गुजरात के 94% और राजस्थान के 86% से काफी ज्यादा है। वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) का दूसरा दौर 4 नवंबर को 12 राज्यों में शुरू हुआ था। स्पेसिफिक इन्युमरेशन फॉर्म छापने और मतदाताओं तक पहुंचाने का काम जारी है। SIR के विरोध की सबसे ज्यादा चर्चा में पश्चिम बंगाल है। आयोग का दावा है कि बंगाल में तेजी से काम हो रहा है। तृणमूल ने दावा किया है कि SIR मुद्दे पर राज्य में 18 लोगों की मौत हो गई है। तृणमूल ने आरोप लगाया है कि आयोग ने SIR के बीच बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्ति के नियम बदले हैं। भास्कर ने 7 राज्यों से जानी वोटर-बीएलओ की दिक्कतें राजस्थान: बीएलओ फॉर्म छोड़ गए, कैसे भरेंफिलहाल गणना प्रपत्र बांटे जा रहे हैं। असल तस्वीर तब सामने आएगी, जब फॉर्म वापसी होगी।कई लोगों के नाम 2002 की वोटर लिस्ट में नहीं हैं। ऐसे में उनसे माता या पिता के वोटर आईडी मांगे जा रहे हैं। कई लोगों के पास यह भी नहीं है।कई लोगों की शिकायत है कि बीएलओ फॉर्म छोड़ गए, कुछ जानकारी नहीं दी कि कैसे भरना है। प. बंगाल: फोन नंबर ढूंढ़ने में वक्त जा रहाबीएलओ पर फॉर्म पहुंचाने का भारी दबाव है। एक महिला बीएलओ ने बताया कि रात 8 बजे तक घर-घर जाना पड़ रहा। कई लोगों के पते बदल गए। फोन नंबर तलाश कर बात करने में समय निकल जाता है।ट्रांसजेंडरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई से घरवालों ने नाता तोड़ लिया है। 12 दस्तावेजों में ट्रांसजेंडर कार्ड का जिक्र नहीं है। छत्तीसगढ़: बहुओं के नाम जोड़ना चुनौतीउन महिलाओं के नाम जोड़ना चुनौती बना, जो दूसरे राज्यों से ब्याहकर आईं। बीएलओ एप पर दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट खुलने में समस्या आ रही। मतदाताओं को अपने ही पुराने रिकॉर्ड खोजने में कठिनाई हो रही है। हजारों वोटर्स अन्य शहरों में नौकरी कर रहे हैं। बीएलओ के लिए संपर्क करना मुश्किल हो गया है। मध्यप्रदेश: मकान बदलना समस्या बनाएक परिवार के सदस्य अलग बूथ में दर्ज हैं। कारण एड्रेस अपडेट नहीं होना और बार-बार मकान शिफ्ट करना है। शहरों में समस्या ज्यादा है। गलत मैपिंग से डुप्लीकेट या मिसिंग वोटर्स का संकट खड़ा हुआ।ऐसे बीएलओ को लगाया, जिसका नाम उसी बूथ की लिस्ट में हो। फील्ड टीम आधी रह गई। अनुभवी बीएलओ बाहर हो गए। नए एप नहीं चला पा रहे। गुजरात: अलग राज्यों की लिस्ट में नाम होने से परेशानीकई बीएलओ को अपने बेटों, परिचितों का सहयोग लेना पड़ा है, ताकि समय से फॉर्म बांटे जा सकें। अलग-अलग राज्यों और शहरों की वोटर लिस्ट में नाम होने से भी मिलान में समस्या आ रही है। तमिलनाडु: निवास बदलने से समस्याचेन्नई में करीब एक लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपना निवास स्थान बदल लिया है। ऐसे में उन्हें अपने नाम कटने का अंदेशा हो रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने पते अपडेट नहीं कराए हैं। बीएलओ का कहना है कि भरे फाॅर्म एकत्र करना और जटिल समस्या होता जा रहा है। जानिए देश के अन्य राज्यों में कहां कैसी परेशानी आ रही है... केरल: कुत्ता छोड़े जाने के बाद से बीएलओ सतर्क हुए; रात तक दस्तक दे रहेबीएलओ रात में भी मतदाताओं के घर तक पहुंच रहे हैं। 6 नवंबर को कोट्टायम में बीएलओ पर व्यक्ति ने कुत्ता छोड़ दिया था। इससे उसे गर्दन और चेहरे पर चोटें आईं। इसके बाद से बीएलओ सतर्कता बरत रहे हैं। SIR की पूरी प्रोसेस 7 फरवरी को खत्म होगी देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए बूथ लेवल अधिकारी (BLO) 4 नवंबर से घर-घर पहुंचे रहे हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट SIR के लिए BLO की ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हुई। पूरी प्रोसेस 7 फरवरी को खत्म होगी। SIR में वोटर लिस्ट का अपडेशन होगा। नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और वोटर लिस्ट में सामने आने वाली गलतियों को सुधारा जाएगा। इन 12 राज्यों में SIR होगा 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे। SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। SIR के लिए कौन से दस्तावेज मान्य SIR मकसद क्या है 1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना। डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। यह भी जानिए... नाम सूची से कट गया तो क्या करें?‎ ड्राफ्ट मतदाता सूची के आधार पर एक महीने तक अपील कर सकते हैं।‎ ईआरओ के फैसले के खिलाफ डीएम और डीएम के फैसले के खिलाफ‎सीईओ तक अपील कर सकते हैं।‎ शिकायत या सहायता कहां से लें? हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। अपने बीएलओ या जिला चुनाव कार्यालय से‎संपर्क करें।‎ बिहार की मतदाता सूची दस्तावेजों में क्यों जोड़ी गई?‎ यदि कोई व्यक्ति 12 राज्यों में से किसी एक में अपना नाम मतदाता सूची में‎ शामिल करवाना चाहता है और वह बिहार की एसआईआर के बाद की सूची‎का अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसे‎ नागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फ‎ जन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा।‎ क्या आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है?‎ सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के चुनाव‎अधिकारियों को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचान‎स्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया‎जाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप में‎स्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं। ------------------------ SIR से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... राहुल के प्रजेंटेशन में वोटर्स डिलीट कराने का दावा: जिनके नाम कटे, उन्हें स्टेज पर बुलाया; EC बोला- आरोप झूठे, नाम ऑनलाइन डिलीट नहीं होते कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को 31 मिनट का प्रजेंटेशन दिया था। इसमें उन्होंने कहा- मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार लोकतंत्र को नष्ट करने वालों और वोट चोरों को बचा रहे हैं। राहुल ने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां कांग्रेस समर्थकों के वोट योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए। पूरी खबर पढ़ें...