राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की मान्यता के प्रयासों के दौरान कई चिकित्सा शिक्षकों का स्थानांतरण कानपुर और लखनऊ से किया गया था। इसी प्रक्रिया में डॉ. शाहीन का ट्रांसफर भी तिर्वा मेडिकल कॉलेज में हुआ था।