आज यानी 14 नवंबर को ‘वर्ल्ड डायबिटीज डे’ है। यह दिन डायबिटीज के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के मुताबिक, साल 2024 में दुनियाभर में करीब 58.9 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे। अनुमान है कि साल 2050 तक यह संख्या बढ़कर 85.3 करोड़ तक पहुंच सकती है। IDF के ‘डायबिटीज एटलस 2025’ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 11.1% आबादी यानी हर 9 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है। इनमें से 40% से ज्यादा लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है। भारत की बात करें तो यहां डायबिटीज महामारी का रूप लेती जा रही है। इंडिया को ‘डायबिटिक कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ कहा जाता है क्योंकि दुनिया के सबसे ज्यादा डायबिटिक पेशेंट यहीं हैं। ग्लोबल हेल्थ जर्नल ‘द लैंसेट’ में साल 2023 में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटिक हैं। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक सर्वे के मुताबिक, देश में 13.6 करोड़ लोग (कुल आबादी का 15.3%) प्री-डायबिटिक हैं। यानी ऐसे लोग, जिनमें डायबिटीज के शुरुआत लक्षण दिखने लगे हैं। अगर ये लोग समय रहते सचेत नहीं हुए तो इनमें से 60% लोग अगले 5 सालों में डायबिटिक हो जाएंगे। हालांकि अगर समय रहते प्री-डायबिटीज का पता चल जाए तो सिर्फ 20 दिनों की सही कोशिशों से इसे रिवर्स किया जा सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम प्री-डायबिटीज के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अभिनव कुमार गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्रोनोलॉजिस्ट, नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर सवाल- प्री-डायबिटीज क्या है? जवाब- प्री-डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से ज्यादा होता है, लेकिन डायबिटीज के लेवल से कम होता है। इसे टाइप-2 डायबिटीज का शुरुआती फेज कहा जा सकता है। इस स्थिति में पैंक्रियाज इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन शरीर की कोशिकाएं इस इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। इसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं। इसके कारण ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश करने के बजाय खून में जमा होता रहता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। सवाल- प्री-डायबिटीज का पता कैसे लगाया जाता है? जवाब- इसके लिए डॉक्टर आमतौर पर तीन मुख्य जांचें कराते हैं। आइए इसके नॉर्मल और असामान्य लेवल को समझते हैं। फास्टिंग ब्लड शुगर (FBS): यह टेस्ट 8 से 10 घंटे तक कुछ भी खाए-पिए बिना किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि खाली पेट खून में शुगर का लेवल कितना है। जैसेकि- HbA1c टेस्ट: इस टेस्ट से पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल की औसत जानकारी मिलती है। जैसेकि- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT): इसमें शुगर ड्रिंक पीने के दो घंटे बाद ब्लड शुगर मापा जाता है, ताकि शरीर की ग्लूकोज प्रोसेस करने की क्षमता पता चल सके। अगर रिपोर्ट में शुगर सामान्य से थोड़ा ज्यादा, लेकिन डायबिटीज की सीमा से कम हो तो यह प्री-डायबिटीज की स्थिति मानी जाती है। सवाल- प्री-डायबिटीज और डायबिटीज में क्या अंतर है? जवाब- प्री-डायबिटीज में फास्टिंग ब्लड शुगर 100 से 125 mg/dL के बीच और HbA1c का लेवल 5.7% से 6.4% के बीच होता है। यह सामान्य से अधिक है, लेकिन डायबिटीज की सीमा तक नहीं पहुंचा है। यह स्थिति अक्सर लक्षण-रहित होती है और इसे लाइफस्टाइल में बदलाव करके पूरी तरह से रिवर्स किया जा सकता है। वहीं डायबिटीज में फास्टिंग ब्लड शुगर 126 mg/dL या HbA1c 6.5% से ज्यादा होता है। इसके कारण बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इस स्थिति में दवाइयों और लाइफटाइम परहेज की जरूरत होती है। सवाल- प्री-डायबिटीज क्यों होती है? जवाब- प्री-डायबिटीज तब होती है, जब शरीर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इंसुलिन वह हाॅर्मोन है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल रखता है। जब शरीर इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाता है या पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता तो ब्लड शुगर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और यह स्थिति प्री-डायबिटीज कहलाती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- प्री-डायबिटीज के लक्षण क्या होते हैं? जवाब- अक्सर प्री-डायबिटीज के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए लोग इसे देर से पहचान पाते हैं। हालांकि शरीर कुछ हल्के संकेत देता है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- प्री-डायबिटीज हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करती है? जवाब- प्री-डायबिटीज भले ही शुरुआती फेज है, लेकिन इसका असर पूरे शरीर की मेटाबॉलिक हेल्थ पर पड़ता है। इस दौरान ब्लड शुगर लगातार सामान्य से ऊपर रहता है, जिससे धीरे-धीरे शरीर के महत्वपूर्ण ऑर्गन्स और ब्लड वेसल्स को नुकसान होने लगता है। इसके कारण टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, किडनी फेल्योर और आई डिजीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। सवाल- क्या प्री-डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है? जवाब- हां, बिल्कुल, सही लाइफस्टाइल अपनाकर प्री-डायबिटीज को पूरी तरह रिवर्स किया जा सकता है। सवाल- प्री-डायबिटीज रिवर्स करने के लिए क्या करना चाहिए ? जवाब- अगर हम सिर्फ 20 दिन तक नियमितता और सख्ती के साथ कुछ सही आदतों का पालन करें तो प्री-डायबिटीज को रिवर्स रिवर्स किया जा सकता है। इसे नीचे दिए 20 पॉइंट्स से समझिए- सवाल- प्री-डायबिटीज में कैसी डाइट लेनी चाहिए? जवाब- प्री-डायबिटीज में डाइट का टारगेट ब्लड शुगर स्थिर रखना, वजन कंट्रोल करना और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाना होता है। इसके लिए ऐसी डाइट चुनें, जो फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर हो और जिसमें रिफाइंड कार्ब्स व चीनी कम हो। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- अगर आप सुपरमार्केट में खरीदारी करने जाते हैं तो नीचे दिया ग्राफिक आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें उन चीजों की लिस्ट दी है, जो आपको कभी नहीं खरीदनी चाहिए। खासतौर पर अगर आपकी रीसेंट ब्लड टेस्ट रिपोर्ट ये कह रही है कि आप प्री-डायबिटिक हैं। लिस्ट देखें– सवाल- क्या प्री-डायबिटीज में दवाइयों की भी जरूरत पड़ सकती है? जवाब- एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. अभिनव कुमार गुप्ता बताते हैं कि लाइफस्टाइल में बदलाव करके प्री-डायबिटीज में बढ़े शुगर लेवल को पूरी तरह रिवर्स किया जा सकता है। हालांकि कुछ रेयर मामलों में दवाओं की जरूरत पड़ सकती है। सवाल- प्री-डायबिटिक कंडीशन में क्या गलतियां करने पर शुगर ठीक होने की बजाय और बढ़ जाएगी? जवाब- प्री-डायबिटिक स्थिति में अगर कुछ गलत आदतें जारी रहीं तो शुगर लेवल घटने की बजाय और बढ़ सकता है। जैसेकि- याद रखें प्री-डायबिटीज में छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ा फर्क डाल सकती हैं। ................... जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- जल्दबाजी में खड़े-खड़े खाते हैं खाना: तो हो सकते हैं ये 9 नुकसान, डाइटीशियन से जानें हेल्दी ईटिंग के 12 नियम साल 2021 में, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिव्यू एंड मेटा-एनालिसिस रिपोर्ट के मुताबिक, खड़े होकर खाने या तेज खाने की आदत मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम को 54% तक बढ़ा देती है। पूरी खबर पढ़िए...