क्या आपने "वॉर सैंडविच' के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो उस क्लास में आपका स्वागत है, जिसे दुनिया के बीस लाख से ज्यादा छात्र अटेंड करते हैं। वह अपनी कुकिंग क्लास की शुरुआत आपको एक काला पड़ चुका गैस स्टोव दिखाकर करती है, जो दर्शाता है कि घर गरीबी से प्रभावित है। लेकिन उसकी खुले दिल वाली हंसी तमाम गरीबी को ढंक लेती है। उसके पास आटा नहीं है, इसलिए वह पिसे हुए बिस्किट का इस्तेमाल करती है। आप सोच रहे होंगे कि जब आटा ही नहीं है, तो बिस्किट कहां से लाई होगी? ये बिस्किट युद्ध प्रभावित लोगों के लिए राहत दल द्वारा बांटे गए थे और वह किसी तरह अपने लिए कुछ जुटा पाई थी! यही वजह है कि वह शरमाते हुए मुस्कराती है और आपको बची-खुची सामग्री से परिचित कराती है। जब शकर खत्म हो जाती थी, तो वो सूखे मेवों में मिठास ढूंढ लेती थी। जब आप उसका वीडियो देखेंगे, तो यह किसी ऐसी दुनिया से एक संदेश पाने जैसा होगा, जिससे हममें से ज्यादातर लोग अनभिज्ञ हैं। 11 साल की यह बच्ची तबाही के बीच खुद को जीना और सपने देखना सिखा रही है। इंटरनेट पर जहां इंफ्लुएंसर्स बेदाग रसोई और बेहतरीन व्यंजनों के साथ छाए रहते हैं, वहीं गाजा की एक 11 साल की बच्ची ने अपने तरह के कुकिंग वीडियो पोस्ट करना शुरू किया। इन वीडियोज़ ने वाई-फाई स्पेस में तहलका मचा दिया। रेनाद अत्ताल्ला को दुनिया भर में लाखों लोग "रेनाद फ्रॉम गाजा' शीर्षक वाले वीडियोज़ के लिए जानते हैं। उसकी कहानियां 2023 में एक किचन से शुरू हुईं। एक वीडियो में उसने कहा, हमारे पास खाने के लिए सचमुच कुछ नहीं है!उसके वायरल वीडियोज़ में एक भयावह सच्चाई थी। मुस्कानें धीरे-धीरे थकान में बदल गईं। खुशमिजाज कैप्शन उदास होते चले गए। अंत में, उसके कुकिंग वीडियो एक व्यापक क्षति का दस्तावेज बन गए, जिसने भूख और जीवित रहने की ललक को जन्म दिया था। यही वजह है कि उसके व्यंजनों में "वॉर सैंडविच' शामिल हैं, जो आम दुनिया के किसी रेस्तरां या किचन में कभी नहीं बनते।मई-जून 2025 में जब दो मिलियन से अधिक लोग उसके वीडियोज़ देखने लगे थे, अचानक वह एक वीडियो में नजर आई और बिना किसी संदर्भ के बस "अलविदा' कह दिया। ये शब्द उसकी झुकी आंखों वाली चुपचाप बैठी तस्वीरों के साथ दिखाई दिए। कुछ ही मिनटों में, यह जानने के लिए टिप्पणियां आने लगीं कि क्या वह सुरक्षित है? समाचार चैनलों ने उसकी कहानी को उठाया और बताया कि दुनिया उसके बारे में चिंतित है। इसके बावजूद वह हफ्तों तक चुप रही। फिर अचानक अक्टूबर 2025 में, वह तीन शब्दों- "एक नया अध्याय' के साथ फिर से नजर आई। बदलाव साफ थे। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, वह एक चमकदार रसोई में घोल फेंट रही थी और उसके बालों पर आटे का चूरा लग गया था। इस वजह से वह खिलखिला रही थी। उसे एक मानवीय पुनर्वास कार्यक्रम के तहत यूरोप में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया था और एक स्कूल में दाखिला दिलाया गया था। आज उसकी रसोई में उन सामग्रियों का भंडार है, जिनके होने का उसने कभी सपना देखा था। कैप्शन में लिखा था, "जब आपके पास जरूरत की हर चीज मौजूद हो, तो खाना बनाने की बात ही और होती है। लेकिन मैं कभी नहीं भूलूंगी जब मेरे पास सब कुछ नहीं था, तो कैसा लगता था।' उसकी आवाज बता रही थी कि खाने की किल्लत के क्या मायने होते हैं। रेनाद का यूरोप जाना उसे सुरक्षा तो देता है, लेकिन उसकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। वह अभी भी विदेशी धरती पर एक शरणार्थी है, नई संस्कृति, जीवनशैली और भाषा को अपना रही है। उस नन्ही-सी बच्ची के लिए इस सदमे, नुकसान और अंततः विस्थापन को भुला पाना मुश्किल होगा। फिर भी वह अपने एक हालिया वीडियो में कहती है, "जब मैं खाना बनाती हूं तो मुझे लगता है कि मैं दुनिया का स्वाद थोड़ा बेहतर बना सकती हूं।' लेकिन साथ ही वो यह पंक्ति कहना कभी नहीं भूलती, "गाजा से प्यार के साथ। बच्चों को बच्चे ही रहने का हक है।' ये सरल और गहन पंक्तियां उसके विचारों को दर्शाती हैं। फंडा यह है कि जब आपके बच्चे खाना बर्बाद करते हैं या खाने के लिए "नखरा' करते हैं, तो रेनाद की कहानी साझा करने से आपको उन्हें यह सिखाने में मदद मिलेगी कि भोजन का क्या मतलब है। यह कुछ लोगों के पोषण से ज्यादा कई लोगों के लिए जीवित रहने का साधन है।