विश्लेषक मानते हैं कि अगर यह सौदा पूरा हो जाता है, तो यह अमेरिका की विदेश नीति में एक अहम बदलाव का संकेत होगा. इसका मतलब यह होगा कि मध्य पूर्व में इसराइल की सैन्य ताकत को चुनौती मिलने की संभावना बन सकती है.