पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:नारी दृढ़ हो तो पूरी मानवता को उसका लाभ मिलता है

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खेल में नारी का हारना और जीतना एक पुराना इतिहास है। एक समय द्यूत राजक्रीड़ा थी। जुआ को राजकीय खेल माना गया और महाभारत में इस पर एक बड़ी घटना टिकी है। उस खेल में द्रौपदी का अपमान हुआ था। इससे कृष्ण भी क्रोधित हुए थे। जो कुछ भी लीला घटी, वो दुनिया जानती है, पर कृष्ण ने कहा था कि खेल कोई भी हो, स्त्री का मान-सम्मान बना रहना चाहिए। जब हमारे देश ने क्रिकेट में हमारी माताओं-बहनों की विजय-यात्रा देखी तो भगवान कृष्ण भी बहुत प्रसन्न हुए होंगे। इन देवियों ने कोई सम्मान की भीख नहीं मांगी, बल्कि पूरे देश को सम्मान का दान दिया। हमारे शास्त्रों में ऐसा व्यक्त है कि अपने स्त्री होने पर विश्वास रखिए, इससे दृढ़ता आएगी। और जब नारी दृढ़ होती है तो पूरी मानवता को उसका लाभ मिलता है। समाज में कुछ लोग हैं, जिन्हें रिश्ते निभाना भी खेल लगता है और उनके लिए स्त्रियां इसीलिए खेल का यंत्र बन जाती हैं। लेकिन इस एक घटना ने हमें आश्वस्त किया कि अब यह भेदभाव समाप्त होना चाहिए और प्रकृति-प्रदत्त जो भी सम्मान, जिसको भी दिया जाना चाहिए-उसे प्राप्त हो।